द लोकतंत्र: नवरात्रि का पर्व पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। भक्त माता रानी की भक्ति में लीन होकर व्रत-उपवास और पूजा अर्चना करते हैं। नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि को विशेष रूप से कन्या पूजन (Kanya Pujan 2025) किया जाता है। मान्यता है कि कन्याओं में देवी का ही रूप विद्यमान होता है, इसलिए उन्हें पूजकर प्रसाद चढ़ाना और भोजन कराना अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है।
कन्या पूजन और उसका महत्व
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, छोटी-छोटी कन्याओं को माता का स्वरूप मानकर उनकी पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सुख-समृद्धि और यश प्राप्त होता है। कन्या पूजन को केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि यह जीवन में संतुलन और ग्रहों की शांति का माध्यम भी है।
कन्या पूजन और नवग्रहों का संबंध
ज्योतिष शास्त्र बताता है कि कन्या पूजन के दौरान चढ़ाए जाने वाले प्रसाद और पूजन सामग्री हमारे नवग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
पूरी – बृहस्पति (Jupiter) का प्रतीक
आटे का हलवा – सूर्य (Sun) का प्रतीक
काले चने – शनि (Saturn) का प्रतीक
कन्याओं के पैर जल से धोना – चंद्रमा (Moon) का प्रतीक
मौली पहनाना – मंगल (Mars) का प्रतीक
जौ देना – राहु (Rahu) का प्रतीक
चूड़ियां पहनाना – बुध (Mercury) का प्रतीक
बिंदी और पैसे देना – शुक्र (Venus) का प्रतीक
चरण स्पर्श करना – केतु (Ketu) का प्रतीक
इस प्रकार सही विधि से कन्या पूजन करने पर व्यक्ति के जीवन में नौ ग्रहों की सकारात्मक ऊर्जा सक्रिय होती है और मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
कन्या पूजन कब करें? (Kanya Pujan 2025 Date)
अष्टमी तिथि – नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन भक्त कन्याओं को माता का स्वरूप मानकर उनकी पूजा और भोजन कराते हैं।
नवमी तिथि – कई जगह कन्या पूजन नवमी को भी किया जाता है। यह शक्ति साधना का अंतिम चरण माना जाता है और इस दिन भी कन्याओं को भोजन कराने से शुभ फल मिलता है।
नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ज्योतिष और जीवन के संतुलन से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। सही विधि से कन्या पूजन करने से न केवल ग्रहों की शांति होती है बल्कि मां दुर्गा की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और उन्नति भी आती है।