द लोकतंत्र : सभी पूर्णिमा तिथियों में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष धार्मिक महत्व माना जाता है, क्योंकि इसी दिन देव दीपावली का भव्य पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, देव दिवाली पर सभी देवतागण पृथ्वी पर आकर उत्सव मनाते हैं और गंगा में स्नान करते हैं, इसलिए इसे देवताओं की दिवाली भी कहा जाता है।
यह दिन भगवान विष्णु (हरि), माता लक्ष्मी और महादेव (हर) की संयुक्त पूजा के लिए बेहद शुभ होता है। इस पवित्र तिथि पर दीपक जलाने और दीपदान करने की परंपरा बहुत पुरानी है, जो भक्तों को विशेष पुण्य फल देती है। इसी परंपरा के तहत, कुछ लोग इस दिन 365 बाती का दीया भी जलाते हैं। आइए जानते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा पर इस विशेष 365 बाती का दीपक जलाने का क्या लाभ होता है और इसे कैसे बनाया जाता है।
365 बाती का दीया: पूरे साल के दीपदान का पुण्य
कार्तिक पूर्णिमा पर 365 बाती का दीपक जलाने का बहुत अधिक धार्मिक महत्व है। इस दीये की संख्या एक साल के 365 दिनों का प्रतीक है।
ऐसा माना जाता है कि इस एक दीपदान से व्यक्ति को पूरे साल के रोजाना के दीपदान का पुण्य एक साथ प्राप्त हो जाता है। जो लोग रोज पूजा-पाठ या दीपदान नहीं कर पाते हैं, वे कार्तिक पूर्णिमा पर यह दीपक जलाकर संपूर्ण कार्तिक मास और साल भर की पूजा का फल प्राप्त कर सकते हैं।
कब और कहां जलाएं यह विशेष दीपक?
365 बाती के दीपक को हमेशा कार्तिक पूर्णिमा पर विशेष रूप से देव-दीपावली के शुभ मुहूर्त में ही जलाना चाहिए। इसे जलाने के लिए कुछ स्थान अत्यंत शुभ माने गए हैं:
घर के मंदिर: घर के पूजा स्थल या मंदिर में।
तुलसी के नीचे: तुलसी के पौधे के पास (ध्यान रहे कि दीये को नीचे एक कटोरी या मिट्टी का दिया रखकर जलाएं और तुलसी के पास थोड़ी दूरी बनाए रखें)।
पवित्र नदी का किनारा: किसी पवित्र नदी (जैसे गंगा) के किनारे या घाट पर।
देव मंदिर: शिव और विष्णु मंदिरों में इसे जलाना अति शुभ माना जाता है।
365 बाती का दीपक बनाने की विधि
इस विशेष दीपक को बनाना बहुत आसान है। इसमें कुछ ही सामग्री की आवश्यकता होती है:
दीपक का चयन: एक कटा हुआ नारियल, मिट्टी या पीतल का एक बड़ा दीपक लें।
बाती की तैयारी: कुछ कलावा (मोली) लें। इसे गिनने का आसान तरीका यह है कि 15 तार के धागे लें और उसे 25 बार लपेटें, जिससे कुल 375 बाती बनेंगी। इसमें से 10 कम करके आप 365 कर सकते हैं।
बाती बांधना: बची हुई 10 बातियों को बची हुई 365 बातियों से एक साथ बांध दें ताकि वे एक मोटी बत्ती के रूप में दीपक में ठहर सकें।
प्रज्वलित करना: इसके बाद दीपक में देसी घी या तिल का तेल डालें। बत्ती को दीपक में रखें और शुभ मुहूर्त देखकर जलाएं।
सजावट और विसर्जन: दीपक को रोली, चंदन, चावल आदि से सजाएं। जब दीपक पूरी तरह जल जाए, तो बचे हुए हिस्से को जल या भूमि में विसर्जित कर दें।
इस दीपदान का धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस एक दीये में इतनी शक्ति होती है कि यह व्यक्ति के जीवन से अंधकार को दूर कर देता है।
एक साथ पुण्य: कार्तिक पूर्णिमा के दिन 365 बाती का दीपक जलाने से साल भर की सभी पूर्णिमा और अन्य पूजा-पाठ का फल एक साथ प्राप्त हो सकता है।
नियमित पूजा के समान: यह रोजाना पूजा करने और दीपदान करने के बराबर माना जाता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो किसी कारणवश नियमित पूजा नहीं कर सकते।
हरि-हर की कृपा: इस दीपदान से भगवान विष्णु और महादेव दोनों की कृपा प्राप्त होती है, जिससे भक्तों के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और मोक्ष के द्वार खुलते हैं।

