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Dharma Aastha: कब है मार्गशीर्ष अमावस्या 2025? जानें पितृ दोष शांति के लिए श्रीहरि विष्णु की पूजा का विधान और उनके 108 पवित्र नामों की पूरी सूची

the loktntra

द लोकतंत्र : सनातन धर्म में मार्गशीर्ष माह को अगहन मास भी कहा जाता है, जिसका विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी पवित्र माह में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का अमर ज्ञान दिया था। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है, “मासों में मैं मार्गशीर्ष हूं।” यही कारण है कि इस माह की अमावस्या तिथि को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी माना गया है।

मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि को पितरों के साथ-साथ भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा के लिए भी सबसे उत्तम माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा-पाठ, दान और तर्पण करने से पितृ दोष से शांति प्राप्त होती है और जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।

मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 कब है?

द्रिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत और समापन इस प्रकार है:

  • अमावस्या तिथि शुरू: 9 नवंबर 2025, सुबह 9 बजकर 43 मिनट से।
  • अमावस्या तिथि समाप्त: अगले दिन 20 नवंबर 2025, दोपहर 12 बजकर 16 मिनट पर।

ऐसे में, उदयातिथि (Udayatithi) के अनुसार, इस बार मार्गशीर्ष अमावस्या 20 नवंबर 2025, गुरुवार को मनाई जाएगी।

मार्गशीर्ष अमावस्या पर पूजा का विधान

इस पावन तिथि पर निम्नलिखित कार्य करने का विधान है:

  1. पितरों का तर्पण: इस दिन पितरों के तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान का कार्य जरूर करना चाहिए, जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और पितृ दोष शांत होता है।
  2. स्नान-दान: पवित्र नदियों में स्नान करने या घर पर ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करने का महत्व है। इसके बाद अपनी क्षमतानुसार दान करना शुभ होता है।
  3. भगवान विष्णु का पूजन: पितरों के साथ-साथ भगवान श्रीहरि विष्णु का विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा के साथ ही उनके 108 नामों का जाप करने से सभी कष्ट दूर होते हैं।

भगवान विष्णु के 108 नाम (जप के लिए पूर्ण सूची)

मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पितृ दोष से शांति और जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति के लिए भगवान विष्णु के इन 108 नामों का श्रद्धापूर्वक जाप करें:

  1. ऊँ श्री प्रकटाय नमः
  2. ऊँ श्री वयासाय नमः
  3. ऊँ श्री हंसाय नमः
  4. ऊँ श्री वामनाय नमः
  5. ऊँ श्री गगनसदृश्यमाय नमः
  6. ऊँ श्री लक्ष्मीकान्ताजाय नमः
  7. ऊँ श्री प्रभवे नमः
  8. ऊँ श्री गरुडध्वजाय नमः
  9. ऊँ श्री परमधार्मिकाय नमः
  10. ऊँ श्री यशोदानन्दनयाय नमः
  11. ऊँ श्री विराटपुरुषाय नमः
  12. ऊँ श्री अक्रूराय नमः
  13. ऊँ श्री सुलोचनाय नमः
  14. ऊँ श्री भक्तवत्सलाय नमः
  15. ऊँ श्री विशुद्धात्मने नमः
  16. ऊँ श्री श्रीपतये नमः
  17. ऊँ श्री आनन्दाय नमः
  18. ऊँ श्री कमलापतये नमः
  19. ऊँ श्री सिद्ध संकल्पयाय नमः
  20. ऊँ श्री महाबलाय नमः
  21. ऊँ श्री लोकाध्यक्षाय नमः
  22. ऊँ श्री सुरेशाय नमः
  23. ऊँ श्री ईश्वराय नमः
  24. ऊँ श्री विराट पुरुषाय नमः
  25. ऊँ श्री क्षेत्र क्षेत्राज्ञाय नमः
  26. ऊँ श्री चक्रगदाधराय नमः
  27. ऊँ श्री योगिनेय नमः
  28. ऊँ श्री दयानिधि नमः
  29. ऊँ श्री लोकाध्यक्षाय नमः
  30. ऊँ श्री जरा-मरण-वर्जिताय नमः
  31. ऊँ श्री कमलनयनाय नमः
  32. ऊँ श्री शंख भृते नमः
  33. ऊँ श्री दु:स्वपननाशनाय नमः
  34. ऊँ श्री प्रीतिवर्धनाय नमः
  35. ऊँ श्री हयग्रीवाय नमः
  36. ऊँ श्री कपिलेश्वराय नमः
  37. ऊँ श्री महीधराय नमः
  38. ऊँ श्री द्वारकानाथाय नमः
  39. ऊँ श्री सर्वयज्ञफलप्रदाय नमः
  40. ऊँ श्री सप्तवाहनाय नमः
  41. ऊँ श्री यदुश्रेष्ठाय नमः
  42. ऊँ श्री चतुर्मूर्तये नमः
  43. ऊँ श्री सर्वतोमुखाय नमः
  44. ऊँ श्री लोकनाथाय नमः
  45. ऊँ श्री वंशवर्धनाय नमः
  46. ऊँ श्री एकपदे नमः
  47. ऊँ श्री धनुर्धराय नमः
  48. ऊँ श्री प्रीतिवर्धनाय नमः
  49. ऊँ श्री केश्वाय नमः
  50. ऊँ श्री धनंजाय नमः
  51. ऊँ श्री ब्राह्मणप्रियाय नमः
  52. ऊँ श्री शान्तिदाय नमः
  53. ऊँ श्री श्रीरघुनाथाय नमः
  54. ऊँ श्री वाराहय नमः
  55. ऊँ श्री नरसिंहाय नमः
  56. ऊँ श्री रामाय नमः
  57. ऊँ श्री शोकनाशनाय नमः
  58. ऊँ श्री श्रीहरये नमः
  59. ऊँ श्री गोपतये नमः
  60. ऊँ श्री विश्वकर्मणे नमः
  61. ऊँ श्री हृषीकेशाय नमः
  62. ऊँ श्री पद्मनाभाय नमः
  63. ऊँ श्री कृष्णाय नमः
  64. ऊँ श्री विश्वातमने नमः
  65. ऊँ श्री गोविन्दाय नमः
  66. ऊँ श्री लक्ष्मीपतये नमः
  67. ऊँ श्री दामोदराय नमः
  68. ऊँ श्री अच्युताय नमः
  69. ऊँ श्री सर्वदर्शनाय नमः
  70. ऊँ श्री वासुदेवाय नमः
  71. ऊँ श्री पुण्डरीक्षाय नमः
  72. ऊँ श्री नर-नारायणा नमः
  73. ऊँ श्री जनार्दनाय नमः
  74. ऊँ श्री चतुर्भुजाय नमः
  75. ऊँ श्री विष्णवे नमः
  76. ऊँ श्री केशवाय नमः
  77. ऊँ श्री मुकुन्दाय नमः
  78. ऊँ श्री सत्यधर्माय नमः
  79. ऊँ श्री परमात्मने नमः
  80. ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नमः
  81. ऊँ श्री हिरण्यगर्भाय नमः
  82. ऊँ श्री उपेन्द्राय नमः
  83. ऊँ श्री माधवाय नमः
  84. ऊँ श्री अनन्तजिते नमः
  85. ऊँ श्री महेन्द्राय नमः
  86. ऊँ श्री नारायणाय नमः
  87. ऊँ श्री सहस्त्राक्षाय नमः
  88. ऊँ श्री प्रजापतये नमः
  89. ऊँ श्री भूभवे नमः
  90. ऊँ श्री प्राणदाय नमः
  91. ऊँ श्री देवकी नन्दनाय नमः
  92. ऊँ श्री सुरेशाय नमः
  93. ऊँ श्री जगतगुरूवे नमः
  94. ऊँ श्री सनातन नमः
  95. ऊँ श्री सच्चिदानन्दाय नमः
  96. ऊँ श्री दानवेन्द्र विनाशकाय नमः
  97. ऊँ श्री एकातम्ने नमः
  98. ऊँ श्री शत्रुजिते नमः
  99. ऊँ श्री घनश्यामाय नमः
  100. ऊँ श्री वामनाय नमः
  101. ऊँ श्री गरुडध्वजाय नमः
  102. ऊँ श्री धनेश्वराय नमः
  103. ऊँ श्री भगवते नमः
  104. ऊँ श्री उपेन्द्राय नमः
  105. ऊँ श्री परमेश्वराय नमः
  106. ऊँ श्री सर्वेश्वराय नमः
  107. ऊँ श्री धर्माध्यक्षाय नमः
  108. ऊँ श्री प्रजापतये नमः।

(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है। ‘द लोकतंत्र’ इसकी पुष्टि नहीं करता है और पाठकों को सलाह देता है कि वे अपनी आस्था के अनुसार पूजा-पाठ करें।)

Uma Pathak

Uma Pathak

About Author

उमा पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में स्नातक और बीएचयू से हिन्दी पत्रकारिता में परास्नातक किया है। पाँच वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली उमा ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उमा पत्रकारिता में गहराई और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं।

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