द लोकतंत्र : आज (4 दिसंबर 2025) वर्ष की आखिरी और अत्यंत महत्वपूर्ण खगोलीय घटना घटित होने जा रही है। जब सनातन धर्म में मार्गशीर्ष पूर्णिमा (जिसे शीत चंद्रमा या Cold Moon भी कहा जाता है) का पवित्र अवसर है, ठीक उसी समय यह साल का तीसरा ‘सुपरमून’ (Supermoon) भी होने वाला है। Earthsky की रिपोर्ट के अनुसार, चंद्रमा पृथ्वी से लगभग 3,57,000 किलोमीटर की निकटता पर होगा, जिस वजह से यह इस वर्ष का दूसरा सबसे नजदीकी पूर्ण चंद्र है।
खगोलीय और मौसमी सामंजस्य
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का यह चंद्र शीतकालीन संक्रांति (Winter Solstice) के बेहद करीब आता है, जो 21 दिसंबर को होती है और सर्दियों की शुरुआत का प्रतीक मानी जाती है।
- सुपरमून: वैज्ञानिक रूप से, सुपरमून तब होता है जब पूर्ण चंद्र पृथ्वी के सबसे नजदीक आता है (पेरिगी)। इस निकटता के कारण चंद्रमा आमतौर पर अधिक चमकीला और बड़ा दिखाई देता है।
- दृश्यता: मार्गशीर्ष पूर्णिमा का सुपरमून 4-5 दिसंबर को अपने पूरे चरण पर होगा। मौसम की स्पष्ट स्थिति के आधार पर यह भारत में सूर्यास्त के 20-30 मिनट बाद चंद्रोदय के रूप में दृश्यमान होगा।
आध्यात्मिक महत्व: इच्छाशक्ति का दिन
सनातन धर्म में पूर्णिमा का दिन उच्च सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक उत्थान के लिए विशेष माना जाता है। मार्गशीर्ष की पूर्णिमा को इन इरादों को शक्ति देने के लिए खास माना गया है।
- व्रत और पूजा: इस पवित्र अवसर पर व्रत रखने और विधि-विधान से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। यह माना जाता है कि ईमानदारी से व्रत रखने पर समृद्धि, खुशहाली और शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- इच्छाओं का अनुष्ठान: आध्यात्मिकता के लिहाज से यह दिन उन चीजों को त्यागने के लिए शुभ है जो आपके काम की नहीं हैं। अनुष्ठान के रूप में, चंद्रमा की रोशनी में सफेद मोमबत्ती जलाकर मन को शांत कर अपनी इच्छाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने और उनकी पूर्ति की कल्पना करने का विशेष महत्व बताया गया है। यह विश्वास ब्रह्मांडीय ऊर्जा के सिद्धांत पर आधारित है: आप जैसा सोचते हैं, ब्रह्मांड आपको वैसा ही परिणाम देता है।
अतः, मार्गशीर्ष पूर्णिमा का यह सुपरमून न केवल आकाश में एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रहा है, बल्कि मनुष्य को अपने आंतरिक इरादों को दृढ़ता प्रदान करने का एक पवित्र अवसर भी दे रहा है।

