द लोकतंत्र : भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है। यहां हर राज्य, जिले और गांव में कोई न कोई रहस्यमयी मंदिर है, जो अपनी विशेष परंपराओं और मान्यताओं के लिए मशहूर है। हिंदू शास्त्रों में मंदिर में प्रसाद ग्रहण करना अत्यंत शुभ कहा गया है, जिससे तन और मन की शुद्धि होती है। लेकिन, भारत में कुछ ऐसे अद्भुत मंदिर भी मौजूद हैं, जहां का प्रसाद छूना और घर ले जाना अशुभ माना गया है।
आइए जानते हैं इन रहस्यमयी मंदिरों और उनके पीछे की विशिष्ट मान्यताओं के बारे में:
1. कोटिलिंगेश्वर मंदिर, कर्नाटक
- मंदिर की विशेषता: यह मंदिर कर्नाटक के कोलार जिले में स्थित है और यहां एक करोड़ शिवलिंग स्थापित हैं, जो इसे बेहद खास बनाते हैं।
- प्रसाद नियम: कोटिलिंगेश्वर मंदिर में पूजा के बाद जो प्रसाद मिलता है, उसे भक्त सिर्फ प्रतीकात्मक रूप से स्वीकार करते हैं। प्रसाद को खाने या घर ले जाने के लिए अशुभ माना जाता है।
- मान्यता: विशेषतौर पर शिवलिंग के ऊपर से आया प्रसाद नहीं खाना चाहिए, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि यह प्रसाद चंडेश्वर को चढ़ाया जाता है।
2. नैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश
- मंदिर की विशेषता: हिमाचल प्रदेश में स्थित यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में शामिल है।
- प्रसाद नियम: यहां माता का प्रसाद मंदिर परिसर में ही ग्रहण करने की मान्यता है।
- मान्यता: माना जाता है कि नैना देवी मंदिर का प्रसाद अगर घर ले जाया जाए तो यह अशुभ प्रभाव डाल सकता है, इसलिए भक्त प्रसाद को मंदिर की सीमा के बाहर नहीं ले जाते हैं।
3. काल भैरव मंदिर, उज्जैन
- मंदिर की विशेषता: मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित यह मंदिर पूरे भारत में अपनी अनूठी परंपरा के लिए जाना जाता है। यह भारत का इकलौता मंदिर है, जहां भैरव बाबा को शराब का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
- प्रसाद नियम: यह प्रसाद सिर्फ भगवान भैरव के लिए होता है।
- मान्यता: भक्तों को यह प्रसाद घर नहीं लाना चाहिए, ऐसी मान्यता है।
4. कामख्या देवी मंदिर, असम
- मंदिर की विशेषता: असम के गुवाहाटी में स्थित यह मंदिर शक्ति पीठों में सबसे शक्तिशाली माना जाता है।
- प्रसाद नियम: यहां देवी को मासिक धर्म आने के दौरान उनकी पूजा तीन दिनों तक बंद रहती है। इस समय किसी भक्त को मंदिर में प्रवेश या प्रसाद लेने की इजाजत नहीं होती है।
- मान्यता: इन दिनों देवी आराम करती हैं। इस कारण इस समय प्रसाद ग्रहण करना पूरी तरह वर्जित है।
5. मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, राजस्थान
- मंदिर की विशेषता: यह मंदिर बजरंगबली को समर्पित है और इसकी मान्यता है कि यहां दर्शन करने से बुरी आत्माओं और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
- प्रसाद नियम: यहां का प्रसाद खाना या घर ले जाना अपशकुन माना जाता है।
- मान्यता: यहां आने वाले भक्त सिर्फ भगवान को अर्पित प्रसाद को देख सकते हैं, लेकिन उसे ग्रहण या स्पर्श नहीं कर सकते, ताकि नकारात्मक शक्तियां उनके साथ न चली जाएं।
ये मान्यताएं इन मंदिरों की सदियों पुरानी परंपराओं का हिस्सा हैं, जो भक्तों को भगवान के प्रति गहरी आस्था और विशेष पूजा विधि का पालन करने के लिए प्रेरित करती हैं।
(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. द लोकतंत्र इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

