द लोकतंत्र : दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव का दूसरा दिन नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को ‘छोटी दिवाली’ या ‘रूप चौदस’ भी कहा जाता है। यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष 2025 में नरक चतुर्दशी 19 अक्टूबर (शनिवार) को पड़ेगी।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था और संसार को भय और अधर्म से मुक्त कराया था। इसलिए इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।
यमराज पूजा का महत्व (Yamraj Puja Importance)
नरक चतुर्दशी के दिन यमराज की पूजा का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन विधिवत पूजा और दीपदान करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता और जीवन में आने वाले संकट दूर हो जाते हैं।
इस दिन शाम के समय “यम दीप” जलाने की परंपरा है। कहा जाता है कि इससे यमराज प्रसन्न होते हैं और घर के सदस्यों की रक्षा करते हैं।
यम दीपदान विधि (Yam Deep Daan Vidhi)
नरक चतुर्दशी की शाम मिट्टी का एक चौमुखी दीपक लें।
दीपक में सरसों का तेल डालें और चारों दिशाओं की ओर मुख करके बत्तियाँ लगाएँ।
जब घर के सदस्य भोजन कर लें, तब दीपक को मुख्य द्वार के बाहर दक्षिण दिशा की ओर जलाएँ।
दीपक जलाते समय यह मंत्र बोलें –
“मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह, या त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतामिति।”
दीपक रखने के बाद उसे पलटकर नहीं देखना चाहिए।
नरक चतुर्दशी के शुभ उपाय (Narak Chaturdashi Upay)
इस दिन प्रातःकाल तेल स्नान करना शुभ माना जाता है।
तिल का तेल शरीर पर लगाने और स्नान के बाद दान देने से पापों का नाश होता है।
गरीबों को दीपदान या वस्त्रदान करने से यमराज कृपा करते हैं।
घर में घी और तेल के दीपक जलाने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
नरक चतुर्दशी केवल छोटी दिवाली नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शुद्धि और नकारात्मकता से मुक्ति का दिन भी है। इस दिन का दीपदान न केवल यमराज को प्रसन्न करता है, बल्कि पूरे परिवार के लिए सुख-समृद्धि और दीर्घायु का आशीर्वाद भी लाता है।