द लोकतंत्र : शक्ति का महापर्व शारदीय नवरात्रि मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। नौ दिनों तक चलने वाला यह उत्सव श्रद्धा, अनुशासन और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार 1, 2, 5, 7 या पूरे 9 दिन का व्रत रखते हैं। व्रत का पारण (समापन) नवरात्रि के सबसे महत्वपूर्ण नियमों में से एक है।
नवरात्रि व्रत पारण कब है?
इस साल शारदीय नवरात्रि का समापन 2 अक्टूबर 2025 को होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, नवमी तिथि समाप्त होने और दशमी तिथि की शुरुआत के बाद व्रत का पारण करना शुभ माना जाता है। चूंकि दशमी तिथि को विजयदशमी (दशहरा) के रूप में भी मनाया जाता है, इसलिए इस दिन व्रत तोड़ना विशेष फलदायी होता है।
व्रत पारण का सही तरीका
नवरात्रि व्रत पारण का आरंभ सात्विक और हल्के भोजन से करना चाहिए। सामान्यत: भक्त फल, दूध या साबूदाना खाकर व्रत खोलते हैं। इसके बाद हलवा-पूरी, चने और खीर का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। व्रत खोलने से पहले मां दुर्गा को भोग अर्पित करना आवश्यक है।
व्रत खोलने से पूर्व कन्या पूजन और हवन का आयोजन भी किया जाता है। कन्याओं को भोजन कराने और उनका आशीर्वाद लेने के बाद ही भक्त व्रत पारण करते हैं। यह प्रक्रिया न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी शुभ मानी जाती है।
व्रत पारण में क्या नहीं करना चाहिए?
पारण के समय लहसुन, प्याज, मांसाहार और तामसिक भोजन का सेवन वर्जित है।
लंबे उपवास के बाद मसालेदार या तैलीय भोजन से परहेज करना चाहिए।
सीधे नमक खाने से बचना चाहिए, पारण हमेशा थोड़ा मीठा खाकर करना श्रेष्ठ माना गया है।
नवरात्रि व्रत पारण का महत्व
नवरात्रि का व्रत तभी पूर्ण माना जाता है जब भक्त अंतिम दिन हवन और कन्या पूजन करते हैं। मां दुर्गा को प्रसाद अर्पित करके और भक्तिभाव से व्रत का पारण करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।
इस प्रकार, 2 अक्टूबर 2025 को विजयदशमी के दिन व्रत पारण करके भक्त नवरात्रि के नौ दिनों की साधना को पूर्ण करेंगे और देवी दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।