द लोकतंत्र : गुजरात के भावनगर जिले के पास कोलियक तट पर स्थित निष्कलंक महादेव मंदिर देश के सबसे अद्भुत, अविश्वसनीय और रहस्यमयी धार्मिक स्थलों में से एक है। यह पवित्र धाम समुद्र के बीचों-बीच स्थित है और ज्वार-भाटे के कारण दिन के करीब 24 घंटों में से 14 घंटे समुद्र की गहराइयों में समाया रहता है। इस समय सिर्फ मंदिर की ध्वज पताका ही पानी के ऊपर नजर आती है। यही कारण है कि इस मंदिर को ‘गुप्त तीर्थ’ के नाम से भी जाना जाता है, जिसके दर्शन केवल भाटे के समय ही संभव हो पाते हैं।
महाभारत काल से जुड़ा इतिहास
इस मंदिर का इतिहास सीधे तौर पर महाभारत काल से जुड़ा हुआ है और यह 5000 साल से अधिक पुराना माना जाता है।
- पांडवों का प्रायश्चित्त: महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद, पांडव अपने सगे-संबंधियों की हत्या के पाप से पीड़ित थे। भगवान श्रीकृष्ण के परामर्श पर, उन्होंने कोलियक तट पर पहुँचकर भगवान शिव की कठिन तपस्या की।
- पाँच शिवलिंग का प्रकट होना: पांडवों की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ ने उन्हें पाँच अलग-अलग लिंग रूपों में दर्शन दिए। यहीं पर पाँच शिवलिंग आज भी मौजूद हैं, जो पांचों पांडवों के प्रायश्चित्त के प्रतीक हैं। हर शिवलिंग के साथ यहां नन्दी महाराज भी विराजमान हैं।
भाद्रवी मेला और पताका का रहस्य
निष्कलंक महादेव मंदिर में हर वर्ष भाद्रपद महीने की अमावस्या पर एक विशाल मेला लगता है, जिसे ‘भाद्रवी मेला’ कहा जाता है।
- मोक्ष की मान्यता: ऐसी मान्यता है कि यदि किसी प्रियजन की चिता की राख को शिवलिंग पर लगाकर जल में प्रवाहित कर दिया जाए, तो उस आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्रद्धालु भगवान शिव को राख, दूध, दही और नारियल चढ़ाते हैं।
- अखंड पताका: यह मेला मंदिर पर नई पताका फहराने से शुरू होता है। आश्चर्यजनक रूप से, यही पताका अगले एक साल तक मंदिर पर फहराती रहती है और समुद्र की लहरों और तूफानों के बावजूद भी इसे कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।
यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि भारत के उन पाँच गुप्त तीर्थों में से एक है, जो समुद्र के साथ अपने अद्वितीय तालमेल के कारण हजारों सालों से रहस्यमयी बना हुआ है।

