Advertisement Carousel
Spiritual

साल 2025 की अंतिम पौष अमावस्या पर बन रहे हैं दुर्लभ संयोग, जानें स्नान-दान और तर्पण का Shubh Muhurat

The loktnatra

द लोकतंत्र : हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली समय माना जाता है। पंचांग के अनुसार, वर्ष भर में आने वाली 12 अमावस्याओं में पौष अमावस्या का अपना विशिष्ट स्थान है। वर्ष 2025 की अंतिम अमावस्या होने के नाते यह धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण होने जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस दिन किए गए धार्मिक अनुष्ठानों का सकारात्मक प्रभाव आगामी नव वर्ष 2026 के प्रारंभिक महीनों पर भी देखा जा सकता है।

तिथि और शुभ मुहूर्त का विवरण

पौष अमावस्या इस साल शुक्रवार, 19 दिसंबर 2025 को मनाई जाएगी।

  • अमावस्या तिथि प्रारंभ: 19 दिसंबर, प्रातः 04:59 बजे।
  • अमावस्या तिथि समापन: 20 दिसंबर, प्रातः 07:12 बजे।
  • उदयातिथि: शास्त्रों में उदयातिथि की प्रधानता होती है, अतः अमावस्या से जुड़े व्रत और स्नान 19 दिसंबर को ही संपन्न किए जाएंगे।

दुर्लभ योग और नक्षत्रों का संयोग

इस वर्ष की अंतिम अमावस्या पर कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है, जो इसे साधना के लिए अनुकूल बनाते हैं।

  • शूल और गण्ड योग: प्रातः 03:47 बजे तक शूल योग रहेगा, जिसके उपरांत गण्ड योग प्रारंभ होगा। ये योग पूजा-पाठ और संकल्प शक्ति के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
  • ज्येष्ठा नक्षत्र: संपूर्ण दिन और रात्रि ज्येष्ठा नक्षत्र का प्रभाव रहेगा। आध्यात्मिक कार्य और पितृ तर्पण के लिए इस नक्षत्र की उपस्थिति पुण्यदायी मानी जाती है।

क्या करें और क्या न करें?

अमावस्या तिथि विशेष रूप से पितरों के निमित्त समर्पित है। इस दिन कुछ विशेष कार्यों से जीवन में सुख-शांति आती है:

  • पितृ तर्पण और स्नान: पवित्र नदियों में स्नान करने के पश्चात पितरों के निमित्त जलांजलि देना और तर्पण करना शुभ होता है। इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
  • दीपदान और दान: संध्या के समय पीपल के वृक्ष के पास दीपक जलाना और जरूरतमंदों को तिल, गुड़ या वस्त्र दान करना फलदायी है।
  • सावधानी: अमावस्या पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह अधिक होता है, इसलिए वाद-विवाद, तामसिक भोजन और छल-कपट से दूरी बनाए रखनी चाहिए।

निष्कर्षतः, पौष अमावस्या का यह अवसर वर्ष की नकारात्मकता को विदाई देने और आने वाले वर्ष के लिए दैवीय आशीर्वाद प्राप्त करने का एक अंतिम आध्यात्मिक द्वार है।

Uma Pathak

Uma Pathak

About Author

उमा पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में स्नातक और बीएचयू से हिन्दी पत्रकारिता में परास्नातक किया है। पाँच वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली उमा ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उमा पत्रकारिता में गहराई और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may also like

साधना के चार महीने
Spiritual

Chaturmas 2025: चार महीने की साधना, संयम और सात्विक जीवन का शुभ आरंभ

द लोकतंत्र: चातुर्मास 2025 की शुरुआत 6 जुलाई से हो चुकी है, और यह 1 नवंबर 2025 तक चलेगा। यह चार
SUN SET
Spiritual

संध्याकाल में न करें इन चीजों का लेन-देन, वरना लौट सकती हैं मां लक्ष्मी

द लोकतंत्र : हिंदू धर्म में संध्याकाल यानी शाम का समय देवी लक्ष्मी को समर्पित माना जाता है। यह वक्त