द लोकतंत्र : आगामी 19 दिसंबर 2025 को पड़ने वाली पौष अमावस्या धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत असाधारण होने जा रही है। इस दिन धनु राशि में सूर्य और मंगल की युति से ‘मंगलादित्य योग’ (Mangladitya Yog) का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह योग आत्मविश्वास, साहस और नेतृत्व क्षमता में वृद्धि करने वाला माना जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि जिन जातकों पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव है, उनके लिए यह अमावस्या कष्टों निवारण का एक सुनहरा अवसर प्रस्तुत करती है।
मंगलादित्य योग में हनुमान साधना का महत्व
पौष अमावस्या पर बन रहा यह शुभ योग करियर में अपार सफलता दिलाने में सक्षम है।
- सुंदरकांड का पाठ: मंगलादित्य योग के दौरान हनुमान जी की आराधना श्रेष्ठ फलदायी होती है। इस दिन बजरंगबली को लाल पुष्प अर्पित कर सुंदरकांड का पाठ करने से शनि की पीड़ा से तत्काल मुक्ति मिलती है।
- कर्मफल दाता की प्रसन्नता: शनिदेव को मजदूरों और जरूरतमंदों का प्रतिनिधि माना जाता है। पौष अमावस्या पर श्रमिकों की सहायता करने और उन्हें भोजन कराने से नौकरी तथा व्यापार में आ रही बाधाएं समाप्त होती हैं।
शनि दोष निवारण के अचूक ज्योतिषीय उपाय
संध्या काल में किए गए कुछ विशेष अनुष्ठान शनि के कुप्रभाव को न्यूनतम कर सकते हैं:
- तेल अभिषेक और दीपदान: अमावस्या की शाम शनिदेव को सरसों या तिल का तेल अर्पित करें। शनि मंदिर में दीपक जलाते समय उसमें काली उड़द की दाल और एक लोहे की कील अवश्य डालें। यह उपाय कार्यों में आ रही रुकावटों को नष्ट करता है।
- प्राणी सेवा: काले कुत्ते को तेल चुपड़ी रोटी खिलाना तथा कौवे, चींटियों और गायों को भोजन देना पितृ दोष और शनि दोष दोनों में लाभकारी है।
महालक्ष्मी आगमन और आर्थिक समृद्धि
पौष अमावस्या केवल कष्ट निवारण ही नहीं, बल्कि धन आगमन का भी मार्ग प्रशस्त करती है।
- विशेष अनुष्ठान: स्नान-दान के उपरांत शाम को घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में गाय के शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें। ध्यान रहे कि दीपक में लाल धागे की बत्ती का प्रयोग हो। इस दौरान ‘कनकधारा स्तोत्र’ का पाठ करने से माता लक्ष्मी का घर में स्थायी वास होता है और दरिद्रता का नाश होता है।
19 दिसंबर की यह अमावस्या ग्रहों के शुभ संयोग के कारण एक ‘सिद्ध तिथि’ बन गई है। नियमपूर्वक किए गए ये उपाय न केवल शनि की साढ़ेसाती में राहत देंगे, बल्कि आगामी वर्ष 2026 के लिए सुख-समृद्धि के द्वार भी खोलेंगे।

