द लोकतंत्र: सनातन धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है। इस अवधि में अपने पितरों के लिए श्रद्धा और तर्पण करने की परंपरा है। माना जाता है कि पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पूर्वज संतुष्ट होकर आशीर्वाद देते हैं। इस वर्ष पितृपक्ष 7 सितंबर से 21 सितंबर 2025 तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र और धर्मग्रंथों में श्राद्ध के साथ-साथ वृक्षारोपण और वृक्ष-पूजन को भी पितरों की शांति और कृपा प्राप्त करने का साधन बताया गया है।
आइए जानते हैं, पितृपक्ष के दौरान किन पांच पवित्र वृक्षों की पूजा और सेवा से पितरों की विशेष कृपा मिलती है:
- पीपल का पेड़
पीपल का पेड़ देवताओं का वास स्थान माना गया है। मान्यता है कि इसकी जड़ में ब्रह्मा, तने में विष्णु और शीर्ष पर महादेव निवास करते हैं। पितृपक्ष में पीपल का पेड़ लगाकर उसकी पूजा करने से पितृदोष दूर होता है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है। शाम के समय इसके नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
- बरगद का पेड़
बरगद (वट वृक्ष) को अमरत्व का प्रतीक माना गया है। इसकी पूजा से दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति होती है। पितृपक्ष में बरगद का वृक्ष लगाकर उसकी सेवा करने से पितर प्रसन्न होते हैं। हालांकि, इसे घर के भीतर नहीं लगाना चाहिए। वट वृक्ष के नीचे शिव साधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
- तुलसी का पौधा
तुलसी को विष्णुप्रिया कहा गया है और इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक है। पितृपक्ष में तुलसी का पौधा लगाकर प्रतिदिन उसके नीचे घी का दीपक जलाने से पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। तुलसी वास्तु दोष दूर करने के साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा भी लाती है।
- बेल का पेड़
बेल वृक्ष शिव से जुड़ा हुआ है। बेलपत्र और बेल फल महादेव को अर्पित करने से सभी दोष दूर होते हैं। पितृपक्ष में बेल का पौधा लगाकर उसकी सेवा करने से शिवकृपा के साथ पितृकृपा भी प्राप्त होती है। माना जाता है कि बेलपत्र पर ‘श्रीराम’ लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
- अशोक का पेड़
अशोक वृक्ष को शोकहर माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता सीता का दुख भी अशोक वृक्ष के नीचे दूर हुआ था। पितृपक्ष में अशोक का पौधा लगाने से पितर प्रसन्न होते हैं और वंशजों को रोग व शोक से मुक्ति का आशीर्वाद देते हैं।
पितृपक्ष केवल श्राद्ध और तर्पण का ही नहीं, बल्कि प्रकृति और वृक्षों के प्रति आभार प्रकट करने का भी समय है। इन वृक्षों की पूजा और सेवा से न केवल पितरों का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मकता भी आती है।