द लोकतंत्र: हिंदू धर्म में पितृपक्ष को पूर्वजों को स्मरण और तर्पण करने का सबसे पवित्र काल माना जाता है। इस समय लोग श्राद्ध, तर्पण और दान-पुण्य करके पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि पितरों की तृप्ति के बिना कोई भी कर्म पूर्ण नहीं माना जाता। लेकिन पितृपक्ष के दौरान कुछ ऐसे कार्य भी हैं जिन्हें करने से बचने की सलाह दी गई है, क्योंकि ये त्रिदोष (देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण) को जन्म दे सकते हैं।
त्रिदोष क्या होता है?
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हर मनुष्य पर तीन प्रकार के ऋण होते हैं- देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण।
देव ऋण: प्रकृति, देवताओं और पंचतत्व का ऋण।
ऋषि ऋण: शास्त्रों, वेदों और गुरुओं से प्राप्त ज्ञान का ऋण।
पितृ ऋण: अपने पूर्वजों के प्रति कर्तव्य।
जब कोई व्यक्ति इन ऋणों का पालन नहीं करता या अशुभ कर्म करता है, तो त्रिदोष उत्पन्न होता है। यह संतान प्राप्ति में बाधा, वंशवृद्धि में रुकावट और मानसिक कष्ट ला सकता है।
पितृपक्ष में भूलकर भी न करें ये 3 काम
मांगलिक कार्यों से परहेज करें
पितृपक्ष को शोक और स्मरण का समय माना जाता है। इस दौरान विवाह, गृहप्रवेश, सगाई, मुंडन जैसे मांगलिक कार्यों से बचना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ अप्रसन्न हो सकते हैं और परिवार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
नमक, तेल और झाड़ू न खरीदें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष में नमक, सरसों का तेल और झाड़ू खरीदना अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से घर में दरिद्रता और रोग प्रवेश कर सकते हैं, साथ ही पितृ दोष बढ़ने की संभावना रहती है।
मांस-मदिरा और तामसिक भोजन से बचें
पितृपक्ष में सात्त्विक आहार अपनाना चाहिए। मांस, मदिरा या तामसिक भोजन का सेवन पितरों के प्रति अपमान माना जाता है। इससे पूर्वजों की आत्मा दुखी होती है और संतान से जुड़ी रुकावटें बढ़ सकती हैं।
संतान सुख से क्यों जुड़ा है पितृपक्ष
धर्मग्रंथों में संतान को पितरों का वंश आगे बढ़ाने वाला कहा गया है। जब पितृ प्रसन्न होते हैं, तो वे आशीर्वाद देकर परिवार को समृद्धि और संतान सुख प्रदान करते हैं। इसलिए पितृपक्ष में नियमों का पालन, श्राद्ध और दान-पुण्य करना अत्यंत आवश्यक है।
इस पितृपक्ष आप भी इन तीन कार्यों से दूरी बनाएँ, श्रद्धा से पितरों का स्मरण करें और जरूरतमंदों को दान दें। ऐसा करने से त्रिदोष दूर होगा और परिवार में सुख, समृद्धि व संतान सुख का आशीर्वाद मिलेगा।