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Raat Mein Jhadu Lagane Ki Manaai: रात में झाड़ू लगाने की मान्यता, ज्योतिष और वास्तुका नजरिया

the loktantra

द लोकतंत्र: भारतीय समाज में रात में झाड़ू लगाने को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं। अक्सर बुजुर्ग यह सलाह देते हैं कि सूर्यास्त के बाद घर में झाड़ू न लगाएं, क्योंकि इससे घर की समृद्धि पर असर पड़ता है। यह परंपरा केवल आस्था ही नहीं, बल्कि धार्मिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से भी जुड़ी है।

हिंदू मान्यता

हिंदू धर्म में झाड़ू को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि शाम के समय, विशेषकर दीपक जलाने के बाद, देवी लक्ष्मी घर में प्रवेश करती हैं। ऐसे समय में झाड़ू लगाना उन्हें अपमानित करने जैसा माना जाता है। विश्वास है कि इससे वे नाराज होकर घर से चली जाती हैं, जिससे दरिद्रता का खतरा बढ़ जाता है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रात का समय राहु और केतु के प्रभाव वाला होता है। इस समय झाड़ू लगाना तामसिक ऊर्जा को सक्रिय कर सकता है, जिससे घर की सकारात्मकता कम हो सकती है। यही कारण है कि रात में झाड़ू लगाने से बचने की सलाह दी जाती है।

वास्तु शास्त्र की राय

वास्तु शास्त्र में भी रात के समय झाड़ू लगाने को शुभ नहीं माना गया है। मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद झाड़ू लगाने से घर की समृद्धि और सुख-शांति पर नकारात्मक असर पड़ता है। यदि किसी कारणवश रात में सफाई करनी पड़े, तो कचरे को एकत्र कर अगली सुबह बाहर फेंकने की सलाह दी जाती है।

प्राचीन समय का व्यावहारिक कारण

पुराने समय में जब घरों में पर्याप्त रोशनी नहीं होती थी, तब रात में झाड़ू लगाने से कीमती सामान खोने का खतरा बढ़ जाता था। इसके अलावा, जहरीले कीड़े-मकौड़ों के डर से भी लोग रात में सफाई से बचते थे। समय के साथ यह व्यावहारिक कारण धार्मिक मान्यताओं से जुड़कर परंपरा बन गया।

रात में झाड़ू न लगाने की परंपरा धार्मिक, ज्योतिषीय और वास्तु दृष्टिकोण से जुड़ी जरूर है, लेकिन इसे अंधविश्वास मानने से पहले इसके पीछे के व्यावहारिक कारण को भी समझना चाहिए। आधुनिक समय में जब रोशनी और स्वच्छता के बेहतर साधन उपलब्ध हैं, तो सफाई का समय व्यक्तिगत सुविधा पर निर्भर करता है।

Uma Pathak

Uma Pathak

About Author

उमा पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में स्नातक और बीएचयू से हिन्दी पत्रकारिता में परास्नातक किया है। पाँच वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली उमा ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उमा पत्रकारिता में गहराई और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं।

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