द लोकतंत्र : बागेश्वर धाम के महंत धीरेंद्र शास्त्री द्वारा निकाली जा रही ‘सनातन हिंदू एकता पदयात्रा’ 7 नवंबर को दिल्ली के छतरपुर स्थित कात्यायनी माता मंदिर से शुरू हुई और इसका समापन 16 नवंबर को वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में होगा। यह पदयात्रा, जो हिंदू एकता और धार्मिक सद्भाव के संदेश के साथ आगे बढ़ रही है, अब शाही और राजनीतिक दोनों तरह का महत्वपूर्ण समर्थन प्राप्त कर रही है, जिससे इसका सामाजिक और सार्वजनिक महत्व बढ़ गया है।
पृष्ठभूमि और शाही परिवार की सहभागिता
यह पदयात्रा 9 नवंबर को हरियाणा पहुंची, और 10 नवंबर को (पदयात्रा के चौथे दिन) जब यह हरियाणा के पृथला स्थित बाघोंला अडानी पेट्रोल पंप से शुरू हुई, तब इसमें मेवाड़ के युवराज लक्ष्यराज सिंह भी शामिल हुए। राजा लक्ष्यराज सिंह, जिन्होंने इस दौरान पीली पगड़ी पहन रखी थी, धीरेंद्र शास्त्री के साथ कदम से कदम मिलाकर चले। मेवाड़ के शाही परिवार से जुड़े व्यक्ति का इस तरह की आध्यात्मिक-सामाजिक यात्रा में शामिल होना, पारंपरिक मूल्यों के प्रति उनके समर्थन को दर्शाता है।
कौन हैं राजा लक्ष्यराज सिंह?
लक्ष्यराज सिंह, मेवाड़ के शाही परिवार से संबंध रखते हैं। दिवंगत अरविंद सिंह मेवाड़ के पुत्र लक्ष्यराज ने अजमेर के मायो कॉलेज से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के ब्लू माउंटेंस इंटरनेशनल होटल मैनेजमेंट स्कूल से कॉमर्स में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। शाही पृष्ठभूमि होने के बावजूद, उन्होंने आतिथ्य उद्योग (Hospitality Industry) को समझने के लिए ऑस्ट्रेलिया में फोर सीजन होटल में वेटर के रूप में भी काम किया। वर्तमान में, वह उदयपुर में अपने परिवार के एचआरएच ग्रुप ऑफ होटल्स की श्रृंखला को आगे बढ़ा रहे हैं। लक्ष्यराज सिंह को उनके सामाजिक कार्यों के लिए कई गिनीज अवार्ड भी मिल चुके हैं।
राजनीतिक समर्थन और आधिकारिक प्रतिक्रिया
इस पदयात्रा को राजनीतिक समर्थन भी मिल रहा है। 9 नवंबर को, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी पदयात्रा में शामिल होकर धीरेंद्र शास्त्री का स्वागत फूलों का गुलदस्ता और फल भेंट करके किया था। मुख्यमंत्री का पदयात्रा में शामिल होना यह संकेत देता है कि सरकार भी धार्मिक और सामाजिक एकता के इस प्रयास को महत्व देती है। हालांकि, सरकार या आधिकारिक स्तर से पदयात्रा के उद्देश्य पर कोई विस्तृत बयान नहीं आया है, लेकिन मुख्यमंत्री की उपस्थिति इस आयोजन को एक आधिकारिक स्वीकृति प्रदान करती है।
विशेषज्ञ राय और सार्वजनिक निहितार्थ
सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की पदयात्राएँ धार्मिक आस्था को मजबूत करने के साथ-साथ एकजुटता का संदेश भी देती हैं। एक विश्लेषक ने कहा, “मेवाड़ के शाही परिवार और मुख्यमंत्री जैसे प्रमुख व्यक्तियों का शामिल होना इस यात्रा को एक नई विश्वसनीयता और व्यापक पहुँच देता है। यह धार्मिक गुरुओं के सामाजिक प्रभाव को भी रेखांकित करता है और हिंदू एकता की भावना को बल प्रदान करता है।” यह पदयात्रा साधु-संतों और आम जनता के बीच गहरी पैठ बना रही है।
धीरेंद्र शास्त्री की सनातन हिंदू एकता पदयात्रा न केवल एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक-सांस्कृतिक घटना बन गई है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के प्रभावशाली लोग शामिल हो रहे हैं। 16 नवंबर को वृंदावन में होने वाले समापन तक, यह यात्रा हिंदू समाज में एकता और पारंपरिक मूल्यों के संरक्षण का संदेश और अधिक प्रभावी ढंग से फैलाने में सफल होगी।

