द लोकतंत्र : शरद पूर्णिमा 2025 इस साल 6 अक्टूबर को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, शरद पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। इस दिन तुलसी की पूजा करना और तुलसी चालीसा का पाठ करना अत्यंत लाभदायी माना गया है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी चालीसा का पाठ करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और आर्थिक तंगी दूर होती है।
तुलसी चालीसा का महत्व
तुलसी चालीसा में तुलसी माता के गुण और महिमा का वर्णन किया गया है। शरद पूर्णिमा पर इसका पाठ करने से न केवल घर में सुख-समृद्धि आती है, बल्कि सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मान्यता है कि तुलसी माता के आशीर्वाद से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव कम होता है।
तुलसी चालीसा का पाठ विधि
शरद पूर्णिमा की रात को घर में तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं।
तुलसी के सामने दीपक जलाते हुए चालीसा का पाठ शुरू करें।
पाठ के दौरान श्रद्धा और भक्ति भाव से तुलसी माता का ध्यान करें।
पाठ समाप्त होने पर तुलसी माता को जल अर्पित करें और संपूर्ण घर में सुख-शांति की कामना करें।
तुलसी चालीसा के दोहे और लाभ
चालीसा में तुलसी माता का स्तवन है जैसे:
“श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय।
जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।”
इन पंक्तियों के माध्यम से भक्त तुलसी माता से संकट निवारण और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हैं। शरद पूर्णिमा पर तुलसी चालीसा का पाठ करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
धार्मिक मान्यता
शरद पूर्णिमा को खीर का भोग बनाना और तुलसी चालीसा का पाठ करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस दिन का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसे भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के प्राकट्य से जोड़ा गया है। यह रात सूर्य की कमी और चंद्रमा की पूर्णता का प्रतीक भी मानी जाती है।
शरद पूर्णिमा पर तुलसी चालीसा का पाठ करना सिर्फ धार्मिक कर्म नहीं है, बल्कि यह घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, धन-समृद्धि और मानसिक शांति लाने का एक प्रभावी तरीका है। इस दिन तुलसी माता का ध्यान और पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।