द लोकतंत्र : हिंदू धर्म में प्रत्येक दिन किसी न किसी देवता को समर्पित है, किंतु सोमवार का दिन भगवान शिव की उपासना के लिए विशेष रूप से खास माना जाता है। यह दिन ‘सोम’ यानी चंद्र देव से भी जुड़ा है, जिन्हें भगवान शिव ने अपने मस्तक पर धारण किया है। शास्त्रों के अनुसार, सोमवार को विधिवत पूजा और व्रत करने से न केवल मानसिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि परिवार में सुख-समृद्धि और शिव कृपा बनी रहती है। यह समय शिव भक्तों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा संचय का उत्तम काल माना गया है।
सोमवार व्रत के पुण्य एवं लाभ
सोमवार को सच्चे मन से की गई पूजा से भगवान शिव और माता पार्वती दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत के कई महत्वपूर्ण लाभ हैं:
- आर्थिक समृद्धि: भगवान शिव की पूजा करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। यह व्रत कर्ज और आर्थिक अस्थिरता जैसी समस्याओं से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है।
- विवाह की बाधाएं: कुंवारी कन्याओं के विवाह में आ रही अड़चनें और नौकरी से जुड़ी बाधाएं दूर होती हैं।
- चंद्रमा दोष से मुक्ति: यह दिन सोम (चंद्रमा) से जुड़ा होने के कारण, चंद्रमा दोष (Moon Defect) से मुक्ति पाने के लिए भी यह व्रत बेहद खास माना जाता है।
सोमवार पूजा का विधान और सामग्री
मनोवांछित फल प्राप्त करने के लिए सोमवार के दिन उपासना में कुछ विशेष सामग्रियों को शामिल करना आवश्यक है।
- प्रिय सामग्री: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पूजा में बिल्व पत्र, अक्षत (अखंड चावल), चंदन, धतूरा और आक के फूल शामिल किए जाने चाहिए। मान्यता है कि इन वस्तुओं के समर्पण से शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
- वस्त्र और शुद्धि: सोमवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद सफेद या पीला वस्त्र धारण करना शुभ होता है। सर्वप्रथम, घर या मंदिर में शिवलिंग को गंगाजल से शुद्ध करें या जलाभिषेक करें।
जाप और समापन की प्रक्रिया
सोमवार का व्रत पूजा-पाठ और मंत्रों के जाप के बिना अधूरा है।
- मंत्र जाप: रुद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र या ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा, शिव चालीसा या रुद्राष्टक का पाठ करना भी पुण्यदायी है।
- भोग और दान: शिवजी की आरती के पश्चात उन्हें सफेद मिठाई या मिश्री का भोग लगाया जाता है और बाद में यह प्रसाद जरूरतमंदों को दान किया जाता है।
- चंद्र देव को अर्घ्य: पूजा के अंत में ‘ॐ चंद्राय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए चंद्रमा को अर्घ्य देना इस व्रत की पूर्णता के लिए आवश्यक माना गया है।

