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Stock Market की दिशा तय करती है ग्रहों की चाल? ज्योतिषीय गणनाओं और आर्थिक अस्थिरता का गूढ़ संबंध

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द लोकतंत्र : जहाँ पारंपरिक रूप से शेयर बाजार (Stock Market) की चाल को आर्थिक संकेतों, सरकारी नीतियों और वैश्विक परिस्थितियों से जोड़ा जाता है, वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की चाल का भी इस पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह एक ऐसा गूढ़ संबंध है जहाँ कई बार जानकार निवेशक भी बड़े निवेश से पहले ज्योतिषियों की सलाह लेना आवश्यक समझते हैं। यह विश्लेषण इसी ज्योतिष और शेयर बाजार के बीच के संबंध को समझने का प्रयास है।

सदियों से भारतीय ज्योतिष में ग्रहों को विभिन्न तत्वों और क्षेत्रों का कारक माना गया है। यह सिद्धांत मानता है कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा और ग्रहों की स्थिति सीधे पृथ्वी पर होने वाली घटनाओं, जिसमें वित्तीय बाजार की तेज़ी-मंदी शामिल है, को प्रभावित करती है। कुछ ग्रहों की शुभ स्थिति बाज़ार में तेज़ी लाती है, जबकि उनकी अशुभता या वक्री/मार्गी चाल से बाज़ार में गिरावट देखी जाती है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि देश की कोई भी आधिकारिक वित्तीय संस्था, जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) या सेबी (SEBI), शेयर बाजार के संचालन या पूर्वानुमान में ज्योतिष को कोई स्थान नहीं देती है। बाजार की दिशा पूरी तरह से आर्थिक मूलभूत सिद्धांतों (Economic Fundamentals), कंपनी प्रदर्शन और तरलता (Liquidity) पर आधारित होती है। हालाँकि, व्यक्तिगत निवेशक अपने जोखिम प्रबंधन के लिए निजी तौर पर ज्योतिषीय सलाह लेने के लिए स्वतंत्र हैं।

ज्योतिष विशेषज्ञों की राय: बृहस्पति, बुध और राहु

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, शेयर बाजार के लिए कुछ ग्रह विशेष महत्व रखते हैं। बृहस्पति (Jupiter) को लाभ और वृद्धि का कारक माना जाता है, जबकि बुध (Mercury) विस्तार, धन और बुद्धिमानी से जुड़े निवेश का प्रतीक है। सूर्य राज्यकोष और सरकारी नीतियों का कारक है। इनकी अनुकूल स्थिति बाजार में सकारात्मकता लाती है। इसके विपरीत, राहु (Rahu) और केतु (Ketu) को उतार-चढ़ाव, अस्थिरता और भ्रम का कारक माना जाता है। शेयर बाजार में अचानक तेज़ी-मंदी और सट्टा बाजार (Speculation) का संबंध विशेष रूप से राहु से जोड़ा जाता है। चन्द्रमा बाज़ार की दैनिक भावनाओं और अल्पकालिक गतिविधियों को प्रभावित करता है।

ग्रहों की स्थिति और बाजार पर प्रभाव

बाजार में बड़ा परिवर्तन अक्सर तब देखा जाता है जब कोई ग्रह अपनी चाल बदलता है (जैसे वक्री या मार्गी होता है) या फिर सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण जैसी महत्वपूर्ण खगोलीय घटनाएँ होती हैं। इसके अलावा, विभिन्न ग्रहों का एक साथ आना, जिसे युति (Conjunction) कहते हैं, भी महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, सूर्य-राहु या चंद्र-राहु की युति सामान्यत: बाजार में बड़े नकारात्मक परिवर्तन ला सकती है।

बाज़ार के विभिन्न क्षेत्रों पर ग्रहों का प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र बाजार के विभिन्न क्षेत्रों पर भी ग्रहों का प्रभाव बताता है:

  • बृहस्पति: सोना, पीतल, आर्थिक क्षेत्र।
  • शनि (Saturn): लोहा, पेट्रोलियम, कल-कारखाने।
  • शुक्र (Venus): चीनी, रसायन, सौंदर्य उत्पाद, फिल्म उद्योग।
  • राहु-केतु: इलेक्ट्रिक, इलेक्ट्रॉनिक्स और विदेशी वस्तुएँ।

जहाँ एक ओर शेयर बाजार पूरी तरह से आर्थिक संकेतकों पर चलता है, वहीं बड़ी संख्या में निवेशकों का ज्योतिषीय गणनाओं पर विश्वास करना एक दिलचस्प विरोधाभास है। निवेशकों को हमेशा यह सलाह दी जाती है कि वे अपने निवेश निर्णय लेने के लिए आर्थिक सिद्धांतों, कंपनी के मूलभूत सिद्धांतों (Fundamentals) और जोखिम प्रबंधन (Risk Management) को ही आधार बनाएँ, जबकि ज्योतिष को एक सहायक या भावनात्मक मार्गदर्शक के रूप में देख सकते हैं।

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है। द लोकतंत्र इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Uma Pathak

Uma Pathak

About Author

उमा पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में स्नातक और बीएचयू से हिन्दी पत्रकारिता में परास्नातक किया है। पाँच वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली उमा ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उमा पत्रकारिता में गहराई और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं।

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