द लोकतंत्र: हिंदू धर्म में सप्ताह के हर दिन को अलग-अलग देवी-देवताओं को समर्पित माना गया है। मंगलवार और शनिवार का दिन विशेष रूप से हनुमान जी महाराज को समर्पित है। मान्यता है कि जो भक्त मंगलवार के दिन विधिविधान से हनुमान जी की पूजा करता है, हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करता है, उसके जीवन में सुख-शांति आती है और परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
सुंदरकांड का महत्व
रामायण के पांचवें कांड को सुंदरकांड कहा जाता है। इसमें हनुमान जी की वीरता, बुद्धि और पराक्रम का अद्भुत वर्णन मिलता है। इसे जीवन की हर कठिनाई में आशा और शक्ति देने वाला माना गया है। कहा जाता है कि सुंदरकांड का नियमित पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है और भक्त हर प्रकार की बाधाओं से मुक्त हो जाता है।
चमत्कारी चौपाई
सुंदरकांड में अनेक चौपाइयां और दोहे हैं जो चमत्कारिक माने जाते हैं। इनमें से एक प्रसिद्ध चौपाई है
“जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा,
कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा।
सोरह जोजन मुख तेहिं ठयऊ,
तुरत पवनसुत बत्तिस भयऊ॥”
इस चौपाई में वर्णन है कि जब हनुमान जी लंका की ओर जा रहे थे तो समुद्र में उनकी भेंट सुरसा नामक राक्षसी से हुई। सुरसा ने अपनी परीक्षा के लिए अपना मुख सोलह योजन तक फैला लिया। इसके जवाब में हनुमान जी ने भी अपना शरीर तुरंत बत्तीस योजन तक बड़ा कर लिया।
यह प्रसंग हनुमान जी की अद्भुत शक्ति, साहस और बुद्धिमत्ता का प्रतीक है। इससे यह संदेश मिलता है कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, बुद्धि और साहस से उनका समाधान संभव है।
सुंदरकांड पाठ के लाभ
नियमित पाठ करने से भय और बाधाओं का नाश होता है।
जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास बढ़ता है।
आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
हनुमान जी का विशेष आशीर्वाद मिलता है।
सुंदरकांड का पाठ केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं बल्कि जीवन में कठिनाइयों को दूर करने का एक आध्यात्मिक साधन भी है। मंगलवार या शनिवार को श्रद्धा और नियम से इसका पाठ करने से व्यक्ति को हनुमान जी की कृपा मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।