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फिर चर्चा में आया वाराणसी शहर: जानिए ‘काशी’ और ‘बनारस’ नाम का अर्थ, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व।

The loktnatra

द लोकतंत्र : भारतीय सिनेमा के प्रतिष्ठित निर्देशक एसएस राजामौली की आगामी मेगा फिल्म ‘वाराणसी’ के शीर्षक के ऐलान के साथ ही, दुनिया के सबसे पुराने और सबसे पवित्र शहरों में से एक, वाराणसी (जिसे काशी या बनारस भी कहते हैं) एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। फिल्म में महेश बाबू और प्रियंका चोपड़ा के होने से लोगों में न केवल इस फिल्म को लेकर, बल्कि उस शहर को लेकर भी उत्सुकता बढ़ी है, जो हिंदू धर्म में मोक्ष की नगरी और भगवान शिव का निवास स्थल माना जाता है।

वाराणसी, गंगा नदी के तट पर स्थित एक ऐसा शहर है जो अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्ता के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह काशी विश्वनाथ मंदिर जैसे महत्वपूर्ण मंदिरों का घर है। यह शहर तीन नामों से जाना जाता है: वाराणसी, काशी और बनारस, जिनमें से प्रत्येक का अपना विशिष्ट इतिहास और अर्थ है:

  • काशी: संस्कृत के शब्द ‘काश’ से आया है, जिसका अर्थ है ‘चमकना’ या ‘प्रकाश’। अतः काशी का अर्थ हुआ ‘प्रकाश का शहर’। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसका नाम राजा ‘काश’ के नाम पर पड़ा, जिन्होंने इसे बसाया था।
  • बनारस: यह शहर का प्राचीन नाम था जो मुगलों और अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान लोकप्रिय हुआ। कुछ मान्यताओं के अनुसार, यह नाम राजा बनार के नाम पर पड़ा, जबकि कुछ इसे शहर की रंग-बिरंगी जीवनशैली से जोड़ते हैं।
  • वाराणसी: यह आधिकारिक नाम शहर के उत्तरी किनारे पर बहने वाली नदी ‘वरुणा’ और दक्षिणी किनारे पर बहने वाली नदी ‘असि’ के संगम से बना है। इस प्रकार, वाराणसी का शाब्दिक अर्थ है “वरुणा और असि नदियों के बीच का स्थान”। 24 मई 1956 को बनारस का नाम बदलकर औपचारिक रूप से वाराणसी कर दिया गया था।

धार्मिक मान्यताओं में वाराणसी का स्थान सर्वोच्च है। यह माना जाता है कि वाराणसी में अंतिम सांस लेने या मरने से व्यक्ति को मुक्ति या मोक्ष मिलता है, यानी उसे जन्म और मृत्यु के चक्र से छुटकारा मिल जाता है। इस कारण से, दुनिया भर के हिंदू जीवन के अंतिम चरण में यहाँ आना चाहते हैं।

सांस्कृतिक और इतिहास विशेषज्ञों का मानना है कि वाराणसी न केवल एक धार्मिक केंद्र है, बल्कि भारतीय दर्शन, कला, संगीत और शिक्षा का भी केंद्र रहा है। यहाँ की गलियाँ, घाट और गंगा आरती की परंपराएँ सदियों पुरानी हैं। फिल्म निर्माता द्वारा इस शहर को शीर्षक के रूप में चुनना, इसके गहरे प्रतीकात्मक और भावनात्मक महत्व को दर्शाता है, क्योंकि यह शहर विनाश और पुनर्जन्म के शाश्वत चक्र का प्रतिनिधित्व करता है। राजामौली की फिल्म, उम्मीद है कि इस प्राचीन नगरी की आध्यात्मिक गहराई को वैश्विक मंच पर लाएगी।

वाराणसी, अपनी आध्यात्मिक आभा और ऐतिहासिक नामों के साथ, भारतीय संस्कृति का अविनाशी प्रतीक है। चाहे इसे काशी (प्रकाश), बनारस (ऐतिहासिक नाम) या वाराणसी (नदियों का मिलन) कहा जाए, यह शहर हर नाम से अपनी पवित्रता और भव्यता को बनाए रखता है। राजामौली की फिल्म निश्चित रूप से इस प्राचीन नगरी के प्रति वैश्विक जिज्ञासा को और बढ़ाएगी और इसकी समृद्ध विरासत को उजागर करेगी।

Uma Pathak

Uma Pathak

About Author

उमा पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में स्नातक और बीएचयू से हिन्दी पत्रकारिता में परास्नातक किया है। पाँच वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली उमा ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उमा पत्रकारिता में गहराई और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं।

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