द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : भारतीय क्रिकेट टीम ने 2025 की इंग्लैंड टेस्ट सीरीज़ के आखिरी मुकाबले में केनिंग्टन ओवल पर 6 रनों से ऐतिहासिक जीत दर्ज कर टेस्ट क्रिकेट इतिहास का एक और स्वर्णिम अध्याय लिख डाला। यह भारत की टेस्ट क्रिकेट में अब तक की सबसे कम रनों से दर्ज की गई जीत है। इस थ्रिलर मैच के साथ ही एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी 2-2 की बराबरी पर समाप्त हुई। पांचवें टेस्ट में भारत ने जिस जुझारूपन, संयम और रणनीति का प्रदर्शन किया, वह हर दृष्टिकोण से उल्लेखनीय था।
सिराज की अगुवाई में धारदार पेस अटैक
टीम के नियमित कप्तान जसप्रीत बुमराह के अनुपस्थित रहने पर मोहम्मद सिराज ने पेस अटैक की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर ली और खुद को भारत का अगला तेज़ गेंदबाज़ी लीडर साबित कर दिखाया। सिराज ने इस मैच में कुल 9 विकेट चटकाए, जिनमें दोनों पारियों में इंग्लैंड के टॉप बल्लेबाज़ों को आउट करना शामिल रहा।
उनकी गेंदों में स्विंग, सीम और आक्रामकता का बेहतरीन तालमेल था। सिराज की बॉडी लैंग्वेज और जज़्बे ने प्रसिद्ध कृष्णा और आकाशदीप जैसे अपेक्षाकृत नए गेंदबाज़ों को भी प्रेरित किया, जिन्होंने ज़रूरी मौकों पर विकेट लेकर मैच को भारत की ओर मोड़ा।
जायसवाल की वापसी और शतक की अहमियत
यशस्वी जायसवाल, जो कि सीरीज़ की पिछली 6 पारियों में रन के लिए तरसते दिखे थे, उन्होंने सबसे बड़े मंच पर वापसी करते हुए दूसरी पारी में 118 रनों की यादगार पारी खेली। पहली पारी में इंग्लैंड की बढ़त के बाद जायसवाल का यह शतक निर्णायक साबित हुआ, जिससे भारत दूसरी पारी में 396 रन का विशाल स्कोर खड़ा कर सका। यह पारी न केवल स्कोरबोर्ड पर अहम साबित हुई, बल्कि मानसिक बढ़त भी भारत को दिला गई।
इस सीरीज़ में भारत ने एक रणनीति के तहत बल्लेबाज़ी में वेरिएशन को प्राथमिकता दी थी, और उसका फायदा ओवल टेस्ट में स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। पहली पारी में जब टॉप ऑर्डर लड़खड़ा गया था और 6 विकेट 153 रनों पर गिर चुके थे, तब निचले क्रम के बल्लेबाज़ों ने संघर्ष करते हुए 71 रन जोड़कर टीम को 224 तक पहुँचाया। दूसरी पारी में वाशिंगटन सुंदर ने एक साहसिक 53 रनों की पारी खेलकर भारत का स्कोर लगभग 400 तक पहुँचा दिया। उनकी पारी के बिना इंग्लैंड को लक्ष्य 330-340 तक सीमित हो सकता था, जिससे मैच का नतीजा बदल सकता था।
प्रसिद्ध कृष्णा का समर्थन और निर्णायक ओवर
जहां सिराज मुख्य गेंदबाज़ के तौर पर चमके, वहीं प्रसिद्ध कृष्णा ने भी पूरे मैच में उनकी शानदार मदद की। उन्होंने कुल 8 विकेट लेकर इंग्लिश बल्लेबाज़ों की कमर तोड़ दी। दोनों की जोड़ी ने इस मैच में किसी भी साझेदारी को टिकने नहीं दिया और नई गेंद लेने से इनकार कर पुरानी गेंद से ही इंग्लैंड को जकड़कर रखा। पांचवें दिन सिर्फ 35 रन चाहिए थे, लेकिन पुरानी गेंद की स्विंग और सटीकता ने इंग्लिश बल्लेबाज़ों को बार-बार बीट किया और भारत को जीत दिला दी।
कप्तान गिल की नेतृत्व शैली
शुभमन गिल ने इस टेस्ट सीरीज़ में पहली बार पूर्णकालिक कप्तान के रूप में नेतृत्व किया और अपनी शांत, ठंडी सोच से सभी को प्रभावित किया। सीरीज़ में उन्होंने बल्ले से भी 754 रन बनाए और ‘मैन ऑफ द सीरीज़’ रहे। गिल ने स्वीकार किया कि आखिरी दिन खेल उनके हाथ से निकलता दिख रहा था, लेकिन उन्होंने टीम से सिर्फ एक बात कही: “Never Give Up” और भारतीय टीम ने इसे पूरी तरह चरितार्थ किया।
इस 6 रन की जीत ने भारतीय टीम की मानसिक मजबूती, सामूहिक जिम्मेदारी और खेल के हर विभाग में निरंतरता को उजागर किया। यह जीत न केवल रिकॉर्ड बुक्स में जगह बनाएगी, बल्कि यह संदेश भी दे गई कि अब भारतीय टीम विदेशी सरजमीं पर भी परिस्थितियों से डरती नहीं है।