द लोकतंत्र : डिजिटल दुनिया में जहाँ पासवर्ड सुरक्षा (Password Security) प्रत्येक इंटरनेट यूज़र की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी बन गई है, वहीं करोड़ों लोग आज भी अपनी सुरक्षा के प्रति भारी लापरवाही बरत रहे हैं। हाल ही में जारी हुई NordPass की वार्षिक ‘Top 200 Most Common Passwords’ रिपोर्ट ने इस तथ्य पर मुहर लगा दी है कि वर्ष 2025 में भी दुनिया का सबसे आम पासवर्ड एक बार फिर $123456$ ही रहा है। यह प्रवृत्ति वैश्विक साइबर सुरक्षा (Cybersecurity) के लिए गंभीर खतरे की घंटी है।
वैश्विक और भारतीय पैटर्न
NordPass की रिपोर्ट के अनुसार, 123456 विश्व स्तर पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला पासवर्ड है। admin, 12345678, 123456789 और 12345 जैसे अनुमान लगाने योग्य और बेहद कमजोर संयोजन (combinations) भी लगातार टॉप-5 की सूची में बने हुए हैं।
भारत में भी यह पैटर्न लगभग समान है। यहाँ भी 123456 और admin यूजर्स की पहली पसंद हैं। भारतीय यूजर्स के बीच Pass@123, Abcd@1234, Kumar@123, India@123 और Welcome@123 जैसे पासवर्ड भी लोकप्रिय हैं। यह दिखाता है कि लोग जटिल दिखने वाले पासवर्ड बनाने की कोशिश तो करते हैं, लेकिन उनमें आसानी से अनुमान लगाए जा सकने वाला पैटर्न दोहराया जाता है, जिससे सुरक्षा कमजोर ही रहती है।
डिजिटल समझ और आदतें
रिपोर्ट यह सिद्ध करती है कि डिजिटल साक्षरता बढ़ने के बावजूद, पासवर्ड आदतों में कोई बदलाव नहीं आया है। पुरानी पीढ़ी अक्सर अपना नाम या सरल संख्या पैटर्न पासवर्ड में डालती है, जबकि Gen Z भी skibidi जैसे मीम वर्ड्स या संख्या पैटर्न पर निर्भर रहती है।
NordPass ने कहा कि यद्यपि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार अधिक पासवर्ड्स में **स्पेशल कैरेक्टर (@, #, $) ** का इस्तेमाल दिखा है, जैसे P@ssw0rd या Admin@123, लेकिन ये भी आसानी से अनुमान योग्य (Predictable) होते हैं। यह व्यवहार साइबर अटैकर्स के लिए ‘ब्रूट फोर्स’ हमलों के माध्यम से पासवर्ड क्रैक करना आसान बना देता है, जिससे डेटा चोरी और आर्थिक नुकसान का जोखिम बढ़ जाता है।
डिजिटल सुरक्षा कैसे बढ़ाएं
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने यूजर्स को अपनी डिजिटल सुरक्षा बढ़ाने के लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण कदम उठाने की सलाह दी है:
- जटिलता और लंबाई: एक मजबूत पासवर्ड कम से कम 20 कैरेक्टर का होना चाहिए, जिसमें रैंडम नंबर, बड़े-छोटे अक्षर और स्पेशल सिंबल शामिल हों।
- दोहराव से बचें: एक ही पासवर्ड को बार-बार अलग-अलग अकाउंट्स में दोहराना बेहद जोखिम भरा है।
- MFA का उपयोग: **मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA)। ** को हर अकाउंट में ऑन रखना सुरक्षा में एक बड़ा सुधार लाता है, भले ही पासवर्ड लीक हो जाए।
- नियमित बदलाव: समय-समय पर पासवर्ड बदलते रहने से सुरक्षा का स्तर बना रहता है।
NordPass की यह रिपोर्ट एक महत्वपूर्ण चेतावनी है कि करोड़ों यूजर्स अपनी डिजिटल सुरक्षा को लेकर अभी भी गंभीर नहीं हैं। कमजोर पासवर्ड का इस्तेमाल डेटा चोरी, पहचान की चोरी और बड़े आर्थिक नुकसान को निमंत्रण दे सकता है। डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रहने के लिए यूजर्स को अपनी पासवर्ड की आदतों में तत्काल और निर्णायक बदलाव लाना आवश्यक है।

