द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी वर्ष के अवसर पर देशभर में समारोह आयोजित किए जा रहे हैं। संघ और भाजपा इसे जोर-शोर से मना रहे हैं और संगठन की सेवाओं और योगदान को बड़े पैमाने पर प्रदर्शित किया जा रहा है। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आरएसएस और भाजपा पर तीखा हमला बोला है।
लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने गुरुवार को कोलंबिया के ईआईए यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम के दौरान आरएसएस और भाजपा की विचारधारा पर तीखा हमला बोला। राहुल गांधी ने कहा कि यह विचारधारा ‘कायरता’ पर आधारित है, जो कमजोरों को दबाने और ताकतवरों से डरकर भागने पर टिकी है।
उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के 2023 के बयान का हवाला देते हुए कहा कि चीन की शक्ति को देखकर भारत को बचने की सलाह दी जाती है। राहुल गांधी ने इसे आरएसएस-भाजपा की सोच से जोड़ते हुए कहा, जो ताकतवर है उससे डरें, और जो कमजोर है उसे दबाएं।
कायरता ही आरएसएस की विचारधारा
कांग्रेस नेता ने हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर की किताब का भी उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि सावरकर और उनके साथियों ने एक मुसलमान व्यक्ति को पीटा और इसे जीत मान लिया। राहुल गांधी ने कहा कि अगर पांच लोग मिलकर एक अकेले इंसान को मारते हैं और इसे जीत मानते हैं, तो यह कायरता है। यही आरएसएस की विचारधारा है, जिसमें कमजोरों को पीटना और डर का इस्तेमाल करना शामिल है।
राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत में सबसे बड़ी चुनौती लोकतंत्र पर हो रहे हमले हैं। उन्होंने बताया कि देश में कई धर्म, भाषाएं और परंपराएं हैं, और लोकतंत्र इन्हें जगह देता है। लेकिन वर्तमान समय में लोकतांत्रिक ढांचा ही हमले में है, जो भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
इसके साथ ही राहुल गांधी ने देश की ताकतों और खामियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत में इंजीनियरिंग, हेल्थकेयर और अन्य क्षेत्रों में बहुत क्षमता है, लेकिन देश की संरचना में मौजूद खामियां सुधार की मांग करती हैं। राहुल गांधी ने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करना और कमजोरों के अधिकारों की सुरक्षा करना भारत के भविष्य के लिए बेहद जरूरी है।