द लोकतंत्र: भारत और अमेरिका के बीच अगस्त माह में बढ़े व्यापारिक तनाव में अब आंशिक नरमी आती दिख रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 50% के भारी टैरिफ (जिसमें रूस से तेल खरीद के लिए 25% की पेनाल्टी शामिल थी) के कारण भारतीय निर्यात पर गहरा असर पड़ा था। हालाँकि, ट्रंप प्रशासन ने अब 200 से अधिक कृषि और फार्म उत्पादों के आयात शुल्क में कटौती करने की घोषणा की है। इस कदम से भारतीय निर्यातकों के बीच उम्मीदें फिर से जाग उठी हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ टैरिफ के कारण कीमतें अमेरिकी बाज़ारों में बढ़ गई थीं।
अगस्त में लगाए गए 50% टैरिफ ने भारतीय निर्यात के कई प्रमुख क्षेत्रों—जैसे टेक्सटाइल, लेदर, ज्वेलरी और सीफूड इंडस्ट्री—को प्रभावित किया था। टैरिफ का एक बड़ा हिस्सा (25%) रूस से कच्चे तेल की खरीद पर पेनाल्टी के रूप में लगाया गया था, जिसने भू-राजनीतिक समीकरणों को भी जटिल बना दिया था।
नवंबर तक शुल्क कटौती की गई वस्तुओं की सूची में चाय, कॉफी, हल्दी, अदरक, दालचीनी, इलायची, काली मिर्च, लौंग और जीरा जैसे प्रमुख भारतीय मसाले शामिल हैं। इसके अलावा, काजू जैसे मेवे, प्रोसेस्ड फूड, मौसमी फल और फ्रूट जूस पर भी छूट दी गई है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) का मानना है कि आयात शुल्क में इस छूट से लगभग $2.5 से $3 अरब के भारतीय निर्यात को सीधा फायदा पहुँच सकता है।
- सकारात्मक संकेत: इस कदम को भारत और अमेरिका के बीच चल रही ट्रेड डील (Trade Deal) पर बातचीत के लिए एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। यह दिखाता है कि दोनों देश व्यापार संतुलन को सुधारने के लिए इच्छुक हैं।
- सीमित छूट: विशेषज्ञों के अनुसार, छूट का दायरा अभी भी सीमित है। झींगा, बासमती चावल, जेम्स और जूलरी, और कपड़ों पर फिलहाल किसी तरह की कोई छूट नहीं है, इन पर फुल टैरिफ लगा रहेगा। ताज़े और खट्टे फलों (जैसे केले) को भी इस सूची से बाहर रखा गया है।
ट्रंप प्रशासन द्वारा चुनिंदा वस्तुओं पर टैरिफ वापस लेने का मुख्य कारण अमेरिकी घरेलू अर्थव्यवस्था और उपभोक्ता हितों से जुड़ा है। टैरिफ के चलते अमेरिकी बाज़ारों में कई चीजें काफी महंगी हो गई थीं। इससे वहाँ की आम जनता को महंगाई का सामना करना पड़ रहा था।
अमेरिकी प्रशासन ने चीजों को किफायती बनाए रखने और उपभोक्ताओं को राहत देने की आवश्यकता महसूस की, जिसके चलते आयात को सस्ता करने का फैसला लिया गया। भारतीय निर्यातकों के लिए यह एक अच्छी खबर है, क्योंकि उन्हें अमेरिका जैसे बड़े और महत्वपूर्ण बाज़ार में अपनी जगह फिर से बनाने का अवसर मिलेगा।
शुल्क कटौती का यह फैसला व्यापारिक संबंधों में आई कड़वाहट को कम करने का काम करेगा। हालाँकि, भारत को अभी भी उन क्षेत्रों (टेक्सटाइल, ज्वेलरी) पर टैरिफ कम कराने के लिए द्विपक्षीय वार्ता को तेज़ करना होगा, जिन पर उच्च शुल्क अभी भी बरकरार है। यह कदम दिखाता है कि वैश्विक व्यापार में राजनीतिक दाँव-पेंच के साथ-साथ उपभोक्ता की क्रय शक्ति भी एक निर्णायक कारक होती है।

