द लोकतंत्र : विपक्षी दलों का गठबंधन ‘इंडिया’ आज 26 जुलाई को मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रहा है। यह अविश्वास प्रस्ताव मणिपुर के मुद्दे को केंद्रित कर लाया जा रहा है। कांग्रेस के सांसद गौरव गोगोई ने लोकसभा में केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है।
बता दें, 17वीं लोकसभा में यह पहली बार होगा जब मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया है। हालाँकि इसके पूर्व 16वीं लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ 20 जुलाई 2018 को अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। नंबर गेम में एनडीए सरकार ने अविश्वास प्रस्ताव को 126 के मुकाबले 325 वोटों से जीत गयी थी।
वहीं, इस मुद्दे पर बोलते हुए राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि हम जानते हैं कि संख्याएं हमारे पक्ष में नहीं हैं। लेकिन, लोकतंत्र सिर्फ संख्याओं के बारे में नहीं है। मणिपुर जल रहा है। लोग पीएम के बोलने का इंतजार कर रहे हैं। शायद अविश्वास प्रस्ताव के बहाने उन्हें कुछ बोलने पर मजबूर किया जा सके। यही सबसे बड़ी उपलब्धि होगी।
दरअसल विपक्ष भी यह जानता है कि नंबर गेम में अविश्वास प्रस्ताव का पास होना संभव ही नहीं है। एनडीए के पास 332 सांसदों का समर्थन है। प्रस्ताव के पीछे की रणनीति का खुलासा करते हुए विपक्ष के नेता ने कहा, परिणाम पूर्व निश्चित है। लेकिन अगर अविश्वास प्रस्ताव आता है तो प्रधानमंत्री बोलने के लिए मजबूर होंगे। अगर वे बहस से बचने की कोशिश करते हैं तो ये नैतिक जीत होगी।
यह भी पढ़ें : अमित शाह ने मल्लिकार्जुन खरगे को चिट्ठी लिखकर मणिपुर पर चर्चा के लिए सहयोग माँगा
इस मामले पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव लाने दीजिए। हम हर परिस्थिति के लिए तैयार हैं। हम तो चाहते हैं कि मणिपुर पर चर्चा हो।
उन्होंने कहा कि सत्र शुरू होने से पहले वे चाहते थे चर्चा। जब हम सहमत हुए, तो उन्होंने नियमों का मुद्दा उठाया। जब हम नियमों पर सहमत हुए, तो वे नया मुद्दा लेकर आए कि पीएम आएं और चर्चा शुरू करें। मुझे लगता है कि ये सभी बहाने हैं।