द लोकतंत्र: भारतीय फिल्म इंडस्ट्री से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है। दक्षिण भारतीय सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री बी. सरोजा देवी अब हमारे बीच नहीं रहीं। 87 वर्षीय इस अदाकारा का निधन उनके बेंगलुरु स्थित आवास पर हुआ। उम्रजनित बीमारियों से जूझ रहीं सरोजा देवी को बेहोशी की हालत में अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
फिल्मी करियर की शुरुआत और बुलंदियां
बी. सरोजा देवी का जन्म 7 जनवरी 1938 को कर्नाटक में हुआ था। मात्र 17 वर्ष की आयु में उन्होंने 1955 की फिल्म ‘महाकवि कालीदास’ से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की। लेकिन उन्हें पहचान मिली 1958 की ब्लॉकबस्टर तमिल फिल्म ‘नदोदी मनन’ से, जिसमें उन्होंने एम. जी. रामचंद्रन (MGR) के साथ स्क्रीन साझा की।
बहुभाषीय अदाकारा और लोकप्रियता
सरोजा देवी का करियर करीब सात दशकों तक फैला रहा। उन्होंने तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी भाषाओं की करीब 200 से अधिक फिल्मों में काम किया। उन्होंने दिलीप कुमार, शिवाजी गणेशन, एनटी रामाराव, राजकुमार और प्रेम नाथ जैसे कई दिग्गज अभिनेताओं के साथ यादगार भूमिकाएं निभाईं। वह ‘अभिनय सरस्वती’ और ‘कन्नड़थु पैंगिली’ जैसे सम्मानीय उपनामों से भी जानी जाती थीं।
सम्मान और पुरस्कार
सरोजा देवी को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले। उन्हें 1969 में पद्मश्री और 1992 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा कलाईममणि पुरस्कार और कई राज्य स्तरीय पुरस्कारों से भी नवाजा गया। उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि भी प्राप्त हुई थी।
अंतिम विदाई और शोक
14 जुलाई 2025 को जब उनके निधन की खबर सामने आई, तब फिल्मी दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई। सोशल मीडिया से लेकर सिनेमा हॉल तक हर जगह बी. सरोजा देवी को श्रद्धांजलि दी जा रही है। उनके निधन को भारतीय सिनेमा की एक युग का अंत माना जा रहा है।
उनकी जिंदगी और करियर आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा। उन्होंने जिस साहस, मेहनत और कला से अभिनय किया, वह विरासत सदा अमिट रहेगी।