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शिवभक्त या सड़कछाप गुंडे, कांवड़ यात्रा के नाम पर हिंसा, वीडियो देख लोग बोले- अब हद हो गई!

Shiv bhakts or street thugs, violence in the name of Kanwar Yatra, after watching the video people said - now this is too much!

द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : श्रावण मास में शिवभक्ति की सबसे बड़ी और भव्य प्रतीक मानी जाने वाली कांवड़ यात्रा एक बार फिर सवालों के घेरे में है लेकिन आस्था नहीं, बल्कि उत्पात और उग्रता की वजह से। सावन में जहां लाखों श्रद्धालु भोलेनाथ की भक्ति में डूबे नजर आते हैं, वहीं कुछ तथाकथित ‘कांवड़िये’ इस पवित्र कांवड़ यात्रा को बदनाम करने पर तुले हैं।

बीते 13 जुलाई को हरिद्वार में हुई एक घटना का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में कुछ कांवड़ियों द्वारा एक शख्स को बेरहमी से पीटे जाने के दृश्य देखे जा सकते हैं। पीड़ित जमीन पर गिर जाता है, परंतु हमलावरों की बर्बरता थमती नहीं। हैरानी की बात यह है कि वहां मौजूद भीड़ तमाशबीन बनी रहती है, कोई आगे आकर उसे बचाता नहीं।

https://twitter.com/Salmanhyc78/status/1946586028392976746

पीड़ित व्यक्ति ने कांवड़ियों को लाठियों से धोया

घटनाक्रम यहीं नहीं रुका। वीडियो में आगे दिखता है कि पीड़ित व्यक्ति थोड़ी देर बाद हाथ में लाठी लेकर लौटता है और हमला करने वाले कांवड़ियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटता है। इससे घटनास्थल पर भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। पुलिस ने इस वीडियो का संज्ञान लिया है और मामले में जांच व वैधानिक कार्रवाई की बात कही है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि विवाद की शुरुआत किस कारण हुई थी।

इस घटना पर सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। एक यूजर ने लिखा, बहुत बढ़िया किया, नशे में चूर इन कथित कांवड़ियों को सबक मिलना ही चाहिए। वहीं एक अन्य ने कहा, इन्हें इलाज की ज़रूरत है, शिवभक्ति के नाम पर आतंक फैलाने वालों को सज़ा मिलनी चाहिए।

शिवभक्ति में हिंसा का कोई स्थान नहीं

यह बेहद चिंताजनक है कि कुछ अराजक तत्व धार्मिक आस्था की आड़ में सड़कों पर कानून अपने हाथ में ले रहे हैं। कांवड़ यात्रा एक तप है, आस्था की पराकाष्ठा है और इसमें आतंक, मारपीट और तोड़फोड़ की कोई जगह नहीं हो सकती। यह साफ तौर पर समझा जाना चाहिए कि हिंसा करने वाले लोग शिवभक्त नहीं हो सकते, वे सिर्फ गुंडे और अराजक तत्व हैं, जिनकी पहचान धार्मिक आस्था से नहीं, बल्कि उनके कर्मों से होती है।

प्रशासन और समाज दोनों की यह जिम्मेदारी बनती है कि कांवड़ यात्रा जैसी पुण्य परंपरा को बदनाम न होने दें और उसमें शामिल श्रद्धालुओं की गरिमा और अनुशासन को बनाए रखें। धार्मिक आस्था का सम्मान जरूरी है पर किसी भी कीमत पर नहीं, खासकर जब वह दूसरों की स्वतंत्रता, सुरक्षा और गरिमा को कुचलने लगे।

Team The Loktantra

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लोकतंत्र की मूल भावना के अनुरूप यह ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां स्वतंत्र विचारों की प्रधानता होगी। द लोकतंत्र के लिए 'पत्रकारिता' शब्द का मतलब बिलकुल अलग है। हम इसे 'प्रोफेशन' के तौर पर नहीं देखते बल्कि हमारे लिए यह समाज के प्रति जिम्मेदारी और जवाबदेही से पूर्ण एक 'आंदोलन' है।

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