द लोकतंत्र: जब भी बात शादी या रिश्तों की आती है, अक्सर यह मान लिया जाता है कि महिलाएं ज्यादा चूज़ी होती हैं और वे एक अमीर, हैंडसम और सफल जीवनसाथी की तलाश करती हैं। लेकिन हाल ही में आई एक इंटरनेशनल स्टडी ने इस सोच को चुनौती दी है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पुरुष भी अपने से कहीं ज्यादा डिजायरेबल महिला की तलाश में रहते हैं, खासकर ऑनलाइन डेटिंग ऐप्स पर।
क्या कहती है नई स्टडी?
PLOS One जर्नल में प्रकाशित इस शोध में चेक रिपब्लिक की एक प्रमुख ऑनलाइन डेटिंग ऐप के करीब 3,000 हेटेरोसेक्शुअल यूजर्स के व्यवहार का विश्लेषण किया गया। अध्ययन में पाया गया कि पुरुष अक्सर उन महिलाओं में दिलचस्पी लेते हैं जो उनसे “ज्यादा डिजायरेबल” होती हैं। इसके विपरीत, महिलाएं आम तौर पर अपने ही स्तर या थोड़ा कम डिजायरेबल पुरुषों को चुनती हैं।
इसका एक कारण यह भी बताया गया कि इन डेटिंग ऐप्स पर पुरुषों की संख्या महिलाओं की तुलना में कहीं ज्यादा होती है। नतीजतन, महिलाओं को अधिक विकल्प और अधिक मैसेज मिलते हैं, जिससे उनकी पसंद ज्यादा selective हो जाती है।
डिजिटल डेटिंग में कैसे होता है मैच?
रिसर्चर मानते हैं कि डिजिटल डेटिंग में “हाई रिस्क, हाई रिजेक्शन” का फॉर्मूला काम नहीं करता है। यदि कोई पुरुष किसी ऐसी महिला से संपर्क करता है जो उससे काफी ज्यादा डिजायरेबल है, तो रिजेक्शन की संभावना काफी बढ़ जाती है। इसीलिए सफल मैच अधिकतर एक जैसे लेवल या स्टेटस वाले लोगों के बीच होते हैं।
महिलाएं कम डिजायरेबल पुरुषों को क्यों एक्सेप्ट करती हैं?
स्टडी में यह भी देखा गया कि महिलाएं कभी-कभी ऐसे पुरुषों को भी एक्सेप्ट कर लेती हैं, जो औसतन थोड़ा कम डिजायरेबल होते हैं। यह शायद इसलिए होता है क्योंकि वे रिश्ते को लेकर ज्यादा यथार्थवादी नजरिया रखती हैं। इसके विपरीत पुरुष अक्सर अपने “ड्रीम वुमन” की तलाश में रहते हैं, भले ही वह व्यवहारिक न हो।
सोशल मीडिया पर बहस
इस स्टडी के बाद सोशल मीडिया पर एक बड़ी बहस शुरू हो गई। कुछ यूजर्स ने महिलाओं को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि महिलाओं को भी अपने “स्टैंडर्ड” कम करने चाहिए क्योंकि 90% लड़कों को तो कोई मैच ही नहीं मिल पाता। वहीं कुछ यूजर्स ने पुरुषों से भी कहा कि वे खुद की ग्रोथ पर फोकस करें और रिलेशनशिप के लिए ज्यादा रियलिस्टिक अप्रोच अपनाएं।
ऑनलाइन डेटिंग की दुनिया में सिर्फ महिलाएं ही नहीं, बल्कि पुरुष भी उच्च अपेक्षाएं रखते हैं। लेकिन स्थायी और सार्थक रिश्ते के लिए जरूरी है कि लोग एक-दूसरे को बराबरी से देखें और यथार्थवादी सोच अपनाएं।