द लोकतंत्र: वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो न केवल भवन निर्माण बल्कि जीवनशैली में सकारात्मकता और ऊर्जा संतुलन को बढ़ावा देता है। सही दिशा में रखा गया मंदिर या किचन न केवल परिवार के स्वास्थ्य बल्कि सुख-समृद्धि को भी प्रभावित करता है।
घर का मुख्य द्वार (Main Gate)
घर बनवाते समय सबसे अहम होता है मुख्य द्वार। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर का मेन गेट उत्तर दिशा (North) या उत्तर-पूर्व (North-East) में होना शुभ माना गया है। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और लक्ष्मी का वास बना रहता है।
घर का मंदिर (Temple)
मंदिर को हमेशा पूर्व दिशा (East) में बनाना चाहिए। यह दिशा देवताओं की मानी जाती है। पूर्व से सूर्य का उदय होता है, जिससे जीवन में ऊर्जा और स्पष्टता आती है। इस दिशा को हमेशा साफ और खुला रखें।
रसोईघर (Kitchen)
किचन को आग्रेय कोण में यानी दक्षिण-पूर्व (South-East) में बनाना चाहिए। इस दिशा में अग्नि का तत्व प्रमुख होता है, जो भोजन और स्वास्थ्य से जुड़ा है। किचन की गलत दिशा घर में तनाव और स्वास्थ्य समस्याएं ला सकती है।
दक्षिण दिशा (South Direction)
वास्तु के अनुसार दक्षिण दिशा को कभी खाली नहीं रखना चाहिए। इसे यम की दिशा माना गया है, लेकिन सही उपयोग से यह समृद्धि और स्थायित्व देती है। यहां भारी फर्नीचर या स्टोर रूम रखना शुभ होता है।
बच्चों का कमरा (Children’s Room)
बच्चों का कमरा उत्तर-पश्चिम दिशा (North-West) में होना चाहिए। यह दिशा उन्हें एक्टिव और केंद्रित बनाए रखती है। इस दिशा में स्टडी टेबल इस तरह रखें कि बच्चा पूर्व की ओर मुख करके पढ़े।
घर का रंग (Wall Paint)
घर की दीवारों पर हल्के और सात्विक रंग जैसे सफेद, क्रीम, हल्का नीला या हल्का पीला पेंट करवाना चाहिए। ये रंग मानसिक शांति देते हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखते हैं।
वास्तु शास्त्र केवल दिशा नहीं बल्कि जीवन को संतुलित और समृद्ध बनाने की एक प्रणाली है। अगर आप नए घर में प्रवेश कर रहे हैं या रेनोवेशन करवा रहे हैं, तो इन टिप्स का पालन जरूर करें।