द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार, 3 अगस्त 2025 को एक अहम बयान देते हुए भारत, चीन और अन्य देशों पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ का खुलकर बचाव किया। ट्रंप ने कहा कि यह निर्णय उन्हें कई साल पहले ही ले लेना चाहिए था और अब यह नीति अमेरिका को आर्थिक रूप से मज़बूत बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगी। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि देश में अब जितना धन आ रहा है, वह पहले की तुलना में कहीं ज़्यादा है और इसका इस्तेमाल अमेरिका अपने राष्ट्रीय कर्ज को चुकाने में करेगा।
व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए ट्रंप ने कहा कि उनकी सरकार कर्ज कम करने की दिशा में ठोस कदम उठा रही है। उन्होंने कहा, “हमारे पास बहुत सारा पैसा आ रहा है, और हम अब अपने कर्ज को चुकाने जा रहे हैं। यह काम हमें बहुत पहले कर लेना चाहिए था। मैंने अपने पहले कार्यकाल में चीन के खिलाफ यह शुरू किया था, लेकिन कोविड के कारण आगे नहीं बढ़ पाया। अब हम पूरी ताकत से आगे बढ़ेंगे और अमेरिका को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाएंगे।”
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी आर्थिक नीति में किया बड़ा बदलाव
जनवरी 2025 में राष्ट्रपति पद की दोबारा शपथ लेने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी आर्थिक नीति में बड़ा बदलाव किया। उन्होंने पुराने ग्लोबल ट्रेड ऑर्डर को नकारते हुए स्पष्ट कर दिया कि अमेरिका अब उन देशों के साथ ही व्यापार करेगा जो निष्पक्ष और पारस्परिक लाभ में विश्वास रखते हैं। इसके तहत उन्होंने उन देशों को आर्थिक दंड देना शुरू किया, जो एकतरफा टैरिफ लगाकर अमेरिकी बाजार का फायदा उठा रहे थे। वहीं, जिन्होंने रेसिप्रोकल टैरिफ की शर्तें स्वीकार कीं, उनसे ट्रंप प्रशासन ने भारी रियायतें वसूलीं।
ट्रंप ने 2 अप्रैल 2025 को ऐलान किया कि जिन देशों के साथ अमेरिका को व्यापार घाटा है, उनके उत्पादों पर 50 फीसदी तक रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया जाएगा। इसके अलावा, सभी देशों पर 10 फीसदी का बेसलाइन टैरिफ भी लागू कर दिया गया। उन्होंने इसे राष्ट्रीय आपातकाल बताते हुए 1977 के कानून का हवाला दिया और कहा कि यह कदम देश की आर्थिक संप्रभुता की रक्षा के लिए जरूरी है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना के बाद उन्होंने इन टैरिफ को 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया और देशों को बातचीत का अवसर दिया।
ट्रंप के इस आक्रामक टैरिफ रुख के आगे कई देश झुके
फिर भी, ट्रंप के इस आक्रामक टैरिफ रुख के आगे कुछ देश झुक गए, जबकि अन्य को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा। इस नीति के तहत कुल 69 देशों पर टैरिफ लगाए गए, जिनमें ब्राजील पर 50 प्रतिशत, कनाडा पर 35 प्रतिशत, भारत पर 25 प्रतिशत, स्विट्जरलैंड पर 39 प्रतिशत और सीरिया पर 41 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया। पाकिस्तान पर शुरुआत में 29 प्रतिशत शुल्क लगाया गया था, जिसे बाद में तेल समझौते के बाद घटाकर 19 प्रतिशत कर दिया गया।
ट्रंप ने दो टूक कहा कि वे किसी देश पर दबाव नहीं बनाना चाहते, लेकिन अमेरिका अब साफ और निष्पक्ष व्यापार नीति अपनाएगा। उन्होंने कहा, “मैं बस इतना चाहता हूं कि हर देश अमेरिका के साथ वैसा ही व्यवहार करे जैसा वह अपने हित में करता है। यह एक बड़ी राशि होगी और अमेरिका इससे सैकड़ों अरब डॉलर की कमाई करेगा।”
डोनाल्ड ट्रंप की इस नई व्यापार नीति का वैश्विक व्यापार पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। जहां एक ओर कुछ देश अमेरिका के साथ नए ट्रेड टर्म्स पर बातचीत को मजबूर हो रहे हैं, वहीं अमेरिका में इसे आर्थिक राष्ट्रवाद के तौर पर देखा जा रहा है। ट्रंप का मानना है कि यही रास्ता है जिससे अमेरिका न सिर्फ अपना कर्ज उतारेगा, बल्कि दुनिया की आर्थिक राजनीति में फिर से निर्णायक भूमिका निभाएगा।