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Virar Shocking Crime: अंधविश्वास के नाम पर नाबालिग छात्रा से यौन शोषण, आरोपी गिरफ्तार

द लोकतंत्र: विरार में अंधविश्वास का सहारा लेकर नाबालिग छात्रा के साथ यौन शोषण का सनसनीखेज मामला सामने आया है। पुलिस ने 17 वर्षीय पीड़िता की शिकायत पर एक अंधे व्यक्ति और उसके साथी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोप है कि आरोपी ने पीड़िता को झांसा दिया कि उसके शरीर में चार “राक्षस” हैं, जो उसके होने वाले पति की जान ले सकते हैं और उसे मां बनने से रोक सकते हैं।

भूत-प्रेत निकालने के नाम पर शोषण
पुलिस के अनुसार, आरोपी ने पीड़िता से कहा कि इन राक्षसों को निकालने के लिए 11 बार “विशेष विधि” करनी होगी, जिसमें शारीरिक संबंध शामिल हैं। आरोपी ने पीड़िता को चेतावनी दी कि यह बात किसी को न बताए। डर और अंधविश्वास के कारण पीड़िता 30 जुलाई को आरोपी से मिली, जहां उसे राजोडी बीच के पास एक लॉज में ले जाया गया।

वहीं, लॉज में आरोपी ने पीड़िता के साथ एक ही दिन में तीन बार यौन शोषण किया। इस पूरे घटनाक्रम में आरोपी के एक दोस्त ने भी मदद की। घटना के समय पीड़िता ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ रही थी और मानसिक तनाव से जूझ रही थी।

दोस्त ने खोली सच्चाई
घटना के बाद पीड़िता ने अपनी एक सहेली को इस बारे में बताया। सहेली ने उसे समझाया कि यह धोखा है और तुरंत अपने माता-पिता को जानकारी देने के लिए कहा। इसके बाद पीड़िता के पिता ने विरार पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस की कार्रवाई
मामले में पुलिस ने बीएनएस की धारा 137(2), 64 और 64(2) के अलावा पॉक्सो अधिनियम तथा महाराष्ट्र मानव बलि एवं अन्य अमानवीय, अभद्र एवं अपवित्र आचरण तथा जादू-टोना अधिनियम, 2013 के तहत मामला दर्ज किया है। वर्तमान में दोनों आरोपी पुलिस हिरासत में हैं।

अन्य पीड़ितों की तलाश
जांच अधिकारी यह पता लगाने में जुटे हैं कि क्या आरोपियों ने पहले भी अन्य महिलाओं को इसी तरह के “काले जादू” और अंधविश्वास का हवाला देकर अपना शिकार बनाया है।

यह घटना न केवल अंधविश्वास की खतरनाक हकीकत को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे अशिक्षा और डर के सहारे अपराधी अपने नापाक मंसूबे पूरे करते हैं। पुलिस और सामाजिक संगठनों का मानना है कि ऐसे मामलों में जागरूकता और कानूनी सख्ती बेहद जरूरी है।

Team The Loktantra

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लोकतंत्र की मूल भावना के अनुरूप यह ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां स्वतंत्र विचारों की प्रधानता होगी। द लोकतंत्र के लिए 'पत्रकारिता' शब्द का मतलब बिलकुल अलग है। हम इसे 'प्रोफेशन' के तौर पर नहीं देखते बल्कि हमारे लिए यह समाज के प्रति जिम्मेदारी और जवाबदेही से पूर्ण एक 'आंदोलन' है।

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