द लोकतंत्र: उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अहम कदम उठाते हुए श्री बांके बिहारी मंदिर न्यास के गठन का अध्यादेश जारी कर दिया है। इस न्यास को मंदिर से जुड़ी सभी चल-अचल संपत्तियों, चढ़ावे और दान के प्रबंधन का अधिकार दिया जाएगा। इसमें मंदिर में स्थापित मूर्तियां, परिसर की संपत्तियां, आभूषण, नकद दान, हुंडी संग्रह, अनुदान और भक्तों द्वारा दी गई भेंट शामिल होंगी।
सरकार का कहना है कि यह निर्णय स्वामी हरिदास की परंपरा को संरक्षित रखते हुए मंदिर प्रशासन को सुदृढ़ बनाने के लिए लिया गया है। न्यास मंदिर में हो रहे त्योहारों, अनुष्ठानों और धार्मिक आयोजनों को बिना किसी बदलाव के जारी रखेगा।
श्रद्धालुओं के लिए नई सुविधाएं
न्यास का लक्ष्य श्रद्धालुओं को विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराना है। इसमें प्रसाद वितरण केंद्र, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए अलग दर्शन मार्ग, पेयजल की सुविधा, विश्राम हेतु बेंच, कतार प्रबंधन सिस्टम, गौशालाएं, अन्नक्षेत्र, भोजनालय, होटल और प्रतीक्षालय जैसी व्यवस्थाएं शामिल होंगी।
न्यास की संरचना
न्यास में कुल 18 सदस्य होंगे – 11 मनोनीत और 7 पदेन। मनोनीत सदस्यों में वैष्णव परंपरा, सनातन धर्म और गोस्वामी परंपरा के प्रतिनिधि शामिल होंगे, जबकि पदेन सदस्यों में मथुरा के जिला मजिस्ट्रेट, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर निगम आयुक्त और अन्य प्रशासनिक अधिकारी होंगे। सभी मनोनीत सदस्य सनातनी हिंदू होंगे और उनका कार्यकाल तीन वर्ष का होगा।
वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार
न्यास को ₹20 लाख तक की संपत्ति स्वयं खरीदने का अधिकार होगा, जबकि इससे अधिक मूल्य की खरीद के लिए राज्य सरकार की अनुमति आवश्यक होगी। न्यास की बैठक हर तीन महीने में अनिवार्य होगी और मुख्य कार्यपालक अधिकारी एडीएम स्तर के अधिकारी होंगे।
यह नया अध्यादेश न केवल मंदिर की धार्मिक परंपराओं की रक्षा करेगा, बल्कि आधुनिक प्रबंधन व्यवस्था के माध्यम से श्रद्धालुओं को और बेहतर अनुभव भी देगा।