द लोकतंत्र : चंद्रयान 3 की सफलता से उत्साहित भारतीय खगोल वैज्ञानिकों ने आज भारत का पहला सौर मिशन ( Solar Mission ) आदित्य एल1 के रूप में लॉन्च कर दिया। आदित्य-एल1 भारत का पहला जबकि दुनिया का 23वां सौर मिशन है। अंतरिक्ष यान को सूर्य और पृथ्वी के बीच लैग्रेंजियन बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की योजना है जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है।
Solar Mission के अंतर्गत आदित्य एल 1 क्या-क्या करेगा
अपनी लांचिंग के लगभग 63 मिनट बाद भारत का सूर्य मिशन आदित्य एल-1 सफल रूप से पृथ्वी के ऑर्बिट में पहुंच गया। आदित्य एल-1 सौर कोरोना (सूर्य के वायुमंडल का सबसे बाहरी भाग) की बनावट और इसके तपने की प्रक्रिया, इसके तापमान, सौर विस्फोट और सौर तूफान के कारण और उत्पत्ति, कोरोना और कोरोनल लूप प्लाज्मा की बनावट, वेग और घनत्व, कोरोना के चुंबकीय क्षेत्र की माप, कोरोनल मास इजेक्शन (सूरज में होने वाले सबसे शक्तिशाली विस्फोट जो सीधे पृथ्वी की ओर आते हैं) की उत्पत्ति, विकास और गति, सौर हवाएं और अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन करेगा।
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 के सफल लांचिंग के लिए इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई दी। उन्होंने कहा है कि चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा को जारी रखा है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा है, संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए ब्रह्मांड की बेहतर समझ विकसित करने के लिए हमारे अथक वैज्ञानिक प्रयास जारी रहेंगे।
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आदित्य एल 1 को लैंग्रेजियन बिंदु 1 पर भेजा जाना है जहां सूरज और पृथ्वी की ग्रेविटेशन अट्रैक्शन जीरो रह जाती है। 4 महीने के बाद सूरज के जिस लैंग्रेजियन पॉइंट में आदित्य एल वन पहुंचेगा वहां से अगले तकरीबन 25 साल तक यह हमारे वैज्ञानिकों को सूचनाओं भेजता रहेगा। हालाँकि वैज्ञानिकों ने बताया कि आदित्य एल 1 की उम्र पांच साल की ही है लेकिन जिन तकनीक का इस्तेमाल इसमें किया गया है उसकी वजह से अगले 25 वर्षों तक हमें आदित्य एल 1 से सौर सूचनाएँ प्राप्त होती रहेंगी।