द लोकतंत्र: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। जब प्रदोष व्रत बुधवार के दिन आता है तो उसे बुध प्रदोष व्रत कहते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और भक्त को धन-समृद्धि, सौभाग्य और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
भाद्रपद माह का बुध प्रदोष व्रत और भी खास है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से व्रत करने पर जीवन की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
बुध प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त
इस बार भाद्रपद माह का बुध प्रदोष व्रत 20 अगस्त 2025, बुधवार को है।
प्रदोष काल का समय: शाम 6:56 बजे से रात 9:07 बजे तक
इसी समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना अत्यंत फलदायी माना गया है।
व्रत में क्या करें
प्रदोष व्रत वाले दिन सुबह स्नान कर भगवान शिव का ध्यान करें।
उपवास रखने वाले भक्त पूरे दिन फलाहार या केवल जल ग्रहण करते हैं।
संध्या के समय प्रदोष काल में शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और सफेद फूल अर्पित करें।
“ॐ नमः शिवाय” का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है।
व्रत कथा और आरती सुनने के बाद परिवार संग प्रसाद वितरित करें।
बुध प्रदोष व्रत में क्या न करें
मान्यताओं के अनुसार इस दिन कुछ काम भूलकर भी नहीं करने चाहिए, अन्यथा पूजा का फल अधूरा रह जाता है।
बुजुर्गों, महिलाओं और किन्नरों का अपमान न करें – इनके प्रति नकारात्मक व्यवहार से शिवजी नाराज हो जाते हैं और जीवन में दुर्भाग्य बढ़ता है।
शिव पूजा में ये चीजें न चढ़ाएं – नारियल का जल, तुलसी पत्ते और कुमकुम अर्पित न करें। शंखनाद भी वर्जित है।
मांसाहार और नशे से दूर रहें – मांसाहारी भोजन, शराब, सिगरेट जैसी चीजें वर्जित हैं।
क्रोध और आलस्य न करें – देर तक सोना, पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचाना और गुस्सा करना अशुभ माना जाता है।
काले रंग के कपड़े न पहनें – इस रंग को इस दिन अशुभ माना जाता है।
बुध प्रदोष व्रत का महत्व
मान्यता है कि इस व्रत को करने से कर्ज और आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है।
अविवाहित युवाओं के लिए यह व्रत विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करता है।
दांपत्य जीवन में मधुरता आती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
भगवान शिव की कृपा से जीवन की बड़ी से बड़ी परेशानियां दूर होती हैं।