द लोकतंत्र: बिहार की राजनीति में इस समय चुनावी सरगर्मी तेज है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) अपने पारंपरिक वोट बैंक को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। महिला और युवाओं से संवाद के बाद अब उन्होंने मुस्लिम समुदाय से सीधे जुड़ने का प्रयास किया। इसी कड़ी में पटना के बापू सभागार में ‘माइनॉरिटी डायलॉग (Minority Dialogue)’ कार्यक्रम आयोजित किया गया। हालांकि, यह संवाद अपेक्षित दिशा में नहीं जा सका और कार्यक्रम के दौरान ही मुसलमानों के एक धड़े ने नाराजगी जताई।
नीतीश कुमार ने मुस्लिम समुदाय से संवाद किया
‘माइनॉरिटी डायलॉग’ कार्यक्रम मदरसा बोर्ड के शताब्दी समारोह के अवसर पर आयोजित हुआ, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए। इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उनकी सरकार ने हमेशा अल्पसंख्यकों के लिए काम किया है। उन्होंने लालू-राबड़ी शासन को याद दिलाते हुए कहा कि “आरजेडी की सरकार में मुसलमानों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, लेकिन हमारी सरकार ने शिक्षा, छात्रवृत्ति और मदरसों के विकास के लिए काम किया है।”
मदरसा शिक्षकों का हंगामा
मुख्यमंत्री का भाषण खत्म होने और उनके कार्यक्रम स्थल से निकलने के बाद मदरसा शिक्षकों ने हंगामा किया। उनका आरोप था कि राज्य में सरकारी सहायता प्राप्त मदरसा शिक्षकों को लंबे समय से वेतन नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि मदरसा बोर्ड की स्थिति लगातार बदहाल हो रही है और शिक्षकों को अपने बकाया वेतन के लिए बार-बार आंदोलन करना पड़ रहा है।
चुनावी रणनीति और चुनौती
विशेषज्ञों का मानना है कि विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार मुस्लिम समुदाय को साधने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन मदरसा शिक्षकों का विरोध और नाराजगी उनके लिए नई चुनौती बन सकती है। अल्पसंख्यक वर्ग में शिक्षा और रोजगार से जुड़ी समस्याओं के कारण असंतोष लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में Minority Dialogue in Bihar Politics भले ही संवाद का मंच था, लेकिन यह विरोध सत्ता पक्ष के लिए राजनीतिक संदेश भी छोड़ गया।