द लोकतंत्र: ऑस्ट्रेलिया और ईरान के बीच राजनयिक रिश्ते गहराते विवाद के चलते टूट गए हैं। ऑस्ट्रेलिया ने ईरानी राजदूत और तीन अन्य अधिकारियों को देश छोड़ने का आदेश दिया है। प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने इस कदम को राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक एकता बनाए रखने के लिए आवश्यक बताया है।
क्यों बिगड़े रिश्ते?
दरअसल, ऑस्ट्रेलियाई खुफिया एजेंसी ASIO (Australian Security Intelligence Organisation) ने ईरान पर आरोप लगाया है कि उसने देश में यहूदी समुदाय को निशाना बनाने वाले हमलों को अंजाम दिया। रिपोर्ट के अनुसार, 20 अक्टूबर 2023 को सिडनी में लुईस कॉन्टिनेंटल किचन और 6 दिसंबर 2023 को मेलबर्न स्थित अदास इजरायल सिनेगॉग पर हुए हमलों के पीछे ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड का हाथ था।
प्रधानमंत्री अल्बनीज ने कहा कि इन हमलों का मकसद ऑस्ट्रेलियाई समाज में विभाजन पैदा करना था। उन्होंने इसे ‘‘सामाजिक एकता पर हमला’’ करार दिया और बताया कि ईरान ने इन घटनाओं को छिपाने की कोशिश की लेकिन खुफिया एजेंसी के पास पर्याप्त सबूत मौजूद हैं।
ईरानी राजदूत को 7 दिन का समय
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया ने ईरानी राजदूत अहमद सादेघी और उनके साथ तीन अन्य कर्मचारियों को सात दिन के भीतर देश छोड़ने का समय दिया है। यह कदम दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार उठाया गया है जब ऑस्ट्रेलिया ने किसी विदेशी राजदूत को निष्कासित किया हो।
ईरान की प्रतिक्रिया और ऑस्ट्रेलिया का रुख
प्रधानमंत्री अल्बनीज ने कहा कि सरकार ईरान की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ऑस्ट्रेलिया अपने नागरिकों और यहूदी समुदाय की सुरक्षा के लिए हर कदम उठाएगा। इस फैसले के बाद ऑस्ट्रेलिया ने तेहरान स्थित अपने दूतावास का संचालन भी रोक दिया है।
वहीं, ईरान की ओर से इस पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना दोनों देशों के बीच लंबे समय तक तनाव बनाए रख सकती है।
अंतरराष्ट्रीय असर
कूटनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया का यह कदम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे अन्य पश्चिमी देशों पर भी दबाव बन सकता है कि वे ईरान की भूमिका को लेकर सख्त कदम उठाएं। इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड को आतंकी संगठन घोषित कर दिया है।
नतीजा
ऑस्ट्रेलिया और ईरान के बीच बढ़ता यह विवाद अब वैश्विक कूटनीति का एक अहम विषय बन गया है। जहां ऑस्ट्रेलिया इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक एकता का सवाल मान रहा है, वहीं ईरान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का गंभीर आरोप है। आने वाले दिनों में इस तनाव का असर दोनों देशों के आर्थिक और राजनीतिक संबंधों पर गहरा पड़ सकता है।