द लोकतंत्र: भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हर साल हरतालिका तीज व्रत रखा जाता है। यह व्रत विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पति की लंबी उम्र की कामना पूरी होती है। यही वजह है कि सुहागिन स्त्रियां बड़ी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस दिन का इंतजार करती हैं।
लेकिन हरतालिका तीज का व्रत काफी कठिन माना जाता है। इस दौरान महिलाएं सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक बिना पानी और अन्न ग्रहण किए व्रत करती हैं। ऐसे में यह व्रत सभी महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं होता। आइए जानते हैं कि किन महिलाओं को यह व्रत नहीं करना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं को व्रत से परहेज
गर्भवती महिलाओं को हरतालिका तीज का कठोर व्रत नहीं रखना चाहिए। लंबे समय तक निर्जला रहने से मां और गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। हालांकि गर्भवती महिलाएं इस दिन सामान्य पूजा कर सकती हैं और भगवान शिव-पार्वती का आशीर्वाद ले सकती हैं।
बीमार महिलाएं न करें कठोर व्रत
यदि कोई महिला गंभीर बीमारी या शारीरिक कमजोरी से जूझ रही है तो उसके लिए निर्जला व्रत हानिकारक हो सकता है। ऐसी स्थिति में फलाहार या साधारण पूजा करना ही उचित माना गया है।
बुजुर्ग महिलाओं के लिए आसान विकल्प
अत्यधिक बुजुर्ग महिलाओं के लिए भी यह कठिन व्रत उपयुक्त नहीं होता। शास्त्रों में कहा गया है कि किसी भी व्रत का फल तभी मिलता है जब उसे श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार किया जाए। इसलिए बुजुर्ग महिलाएं निर्जला व्रत की बजाय फलाहार व्रत रख सकती हैं।
कुंवारी कन्याओं के लिए नियम
हरतालिका तीज का व्रत केवल सुहागिन ही नहीं बल्कि अविवाहित कन्याएं भी कर सकती हैं। लेकिन उन्हें निर्जला व्रत करने की आवश्यकता नहीं होती। वे फलाहार व्रत कर सकती हैं और योग्य वर की प्राप्ति की कामना कर सकती हैं।
मासिक धर्म (Periods) में व्रत रखना
अक्सर महिलाओं के मन में यह सवाल होता है कि मासिक धर्म आने पर क्या तीज का व्रत रखा जा सकता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, महिलाएं इस दौरान व्रत तो रख सकती हैं लेकिन पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान करना वर्जित होता है।
हरतालिका तीज व्रत का महत्व असीम है, लेकिन इसे करने से पहले अपने स्वास्थ्य और क्षमता को ध्यान में रखना जरूरी है। पूजा में सच्ची श्रद्धा और आस्था हो तो भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है, चाहे आप कठोर निर्जला व्रत करें या साधारण फलाहार।