द लोकतंत्र: मराठा आरक्षण आंदोलन (Maratha Reservation Protest) लगातार तेज हो रहा है। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे ने सोमवार (1 सितंबर) को कहा कि यदि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मराठा समुदाय की मांगें नहीं मानीं तो 5 करोड़ से अधिक लोग मुंबई पहुंचेंगे। उन्होंने आंदोलनकारियों से अपील की कि उनके विरोध प्रदर्शन से आम नागरिकों को असुविधा न हो।
हाई कोर्ट की सख्ती
सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में हुई सुनवाई में अदालत ने आंदोलन को लेकर चिंता जताई।
कोर्ट ने कहा कि मनोज जरांगे के नेतृत्व में चल रहा विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण नहीं है और कई शर्तों का उल्लंघन हुआ है।
अदालत ने सरकार से पूछा कि स्थिति से निपटने की क्या ठोस योजना है।
हाई कोर्ट ने मंगलवार (2 सितंबर) तक मुंबई की सड़कों को खाली करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने राज्य सरकार से कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा।
अनशन पर अड़े मनोज जरांगे
जरांगे ने सोमवार को अपने अनशन के चौथे दिन पानी पीना बंद करने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि वह मराठा समुदाय को ओबीसी (OBC) श्रेणी में आरक्षण दिलाने की मांग पर पीछे नहीं हटेंगे और जरूरत पड़ी तो गोलियां खाने को भी तैयार हैं।
जरांगे ने सरकार से मांग की कि वह उपलब्ध ऐतिहासिक रिकॉर्ड और दस्तावेजों को आधार बनाकर सरकारी आदेश (GO) जारी करे, जिससे मराठा समुदाय को ओबीसी वर्ग में शामिल कर आरक्षण दिया जा सके।
सरकार की ओर से पहल
महाराष्ट्र सरकार ने रविवार को कहा था कि वह मराठा समुदाय को कुनबी (OBC जाति) का दर्जा देने के लिए हैदराबाद गजेटियर का सहारा लेगी और इस पर कानूनी राय ली जा रही है। हालांकि, मनोज जरांगे ने साफ किया कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, वह दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान से नहीं हटेंगे।
29 अगस्त से अनिश्चितकालीन अनशन
मनोज जरांगे ने 29 अगस्त को आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया था। वह मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग पर अड़े हैं। जरांगे ने कहा कि चाहे फडणवीस सरकार प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई करे या गोली चलाए, लेकिन वह तब तक आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे जब तक मराठों को आरक्षण नहीं मिलता।
अब पूरा ध्यान महाराष्ट्र सरकार और हाई कोर्ट के आदेश पर है। सरकार पर दबाव बढ़ रहा है कि वह आंदोलन को शांतिपूर्ण तरीके से खत्म करने और समाधान निकालने के लिए ठोस कदम उठाए। वहीं जरांगे का आंदोलन और सख्त रुख आने वाले दिनों में राज्य की राजनीति और प्रशासन दोनों के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।