द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना ‘दोस्त’ और ‘खास साझेदार’ बताते हुए भारत-अमेरिका संबंधों की अहमियत पर जोर दिया। ट्रंप ने कहा कि वे हमेशा पीएम मोदी के मित्र रहेंगे और भारत-अमेरिका के रिश्ते बहुत खास हैं। इस पर पीएम मोदी ने भी प्रतिक्रिया दी और ट्रंप की भावनाओं और दोनों देशों के रिश्तों को लेकर उनके सकारात्मक मूल्यांकन की सराहना की। लेकिन, इस गर्मजोशी के बीच विपक्ष ने सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया है।
मनोज झा का करारा प्रहार
आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद प्रोफेसर मनोज झा ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक लंबा पोस्ट लिखकर ट्रंप और पीएम मोदी दोनों को घेरा। उन्होंने ट्रंप को अमेरिका का “सबसे अस्थिर और विरोधाभासी राष्ट्रपति” बताते हुए कहा कि भारत ने बीते कुछ महीनों में इसे प्रत्यक्ष रूप से महसूस किया है।
झा ने लिखा, कभी वे मोदी को ‘सच्चा दोस्त’ बताते हैं, ‘हाउडी मोदी’ और ‘नमस्ते ट्रंप’ जैसे आयोजनों में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होते हैं। लेकिन अगले ही पल भारत से व्यापारिक रियायतें छीन लेते हैं, टैरिफ की धमकी देते हैं और कश्मीर पर मध्यस्थता जैसी लापरवाह और बेतुकी बात कर बैठते हैं।
कूटनीति नहीं, सौदेबाजी की नौटंकी
मनोज झा ने ट्रंप की कूटनीतिक शैली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, सीजफायर पर उनके बार-बार के बयानों के तो क्या ही कहने? उनके हालिया बयान पर तालियां पीटने वाले लोगों और मीडिया संस्थानों को समझना चाहिए कि यह कूटनीति नहीं, बल्कि कारोबारी सौदेबाजी वाली नौटंकी है। ट्रंप की राजनीति आज भारत के नाम जयकार और कल पाकिस्तान की तारीफ — यह कोई रणनीति नहीं बल्कि तात्कालिक स्वार्थ की भूख है।
पीएम मोदी को आगाह किया
आरजेडी प्रवक्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आगाह करते हुए कहा कि भारत को ऐसी ‘चमक-दमक वाली बयानों की राजनीति’ से बचना चाहिए। उन्होंने लिखा, भारत के लिए सबक साफ है कि परस्पर विरोधाभासी और चमक-दमक वाले बयानों को दोस्ती का पैगाम न समझा जाए। ट्रंप का कार्यकाल दिखाता है कि व्यक्तिगत शो-शा असली विदेश नीति का विकल्प नहीं हो सकता। मनोज झा ने यह भी कहा कि भारत-अमेरिका संबंध संस्थाओं और दीर्घकालिक सहमति पर आधारित होने चाहिए, न कि दोनों तरफ के आत्ममुग्ध नेतृत्व की ‘ऑप्टिक्स पॉलिटिक्स’ पर। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, सनद रहे कि ट्रंप साहब की कूटनीति उनके ट्वीट्स जितनी ही अस्थिर है। जय हिंद।
ट्रंप की बदलती भाषा और भारत-अमेरिका रिश्ते
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने भारत को लेकर विरोधाभासी बयान दिए हों। एक ओर वे मोदी को “सच्चा दोस्त” कहते हैं और भारत-अमेरिका की साझेदारी को ‘अटूट’ बताते हैं, वहीं दूसरी ओर कई मौकों पर उन्होंने भारत पर कड़े शब्द भी कहे हैं। कभी उन्होंने भारत को ‘टैरिफ किंग’ बताया, तो कभी कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की बात कर भारत को असहज किया। विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप की राजनीति मूलतः ‘डील मेकिंग’ पर आधारित है। वे किसी भी रिश्ते को स्थायी और संस्थागत रूप देने की बजाय तत्कालिक लाभ और नुकसान के तराजू में तौलते हैं। यही वजह है कि उनके भारत को लेकर बयानों में बार-बार अस्थिरता दिखाई देती है।
मनोज झा जैसे विपक्षी नेताओं का मानना है कि भारत को ट्रंप जैसे नेताओं के व्यक्तिगत बयानों के आधार पर रिश्ते तय नहीं करने चाहिए। बल्कि, अमेरिका के साथ साझेदारी संस्थाओं, संसदों, कूटनीतिक तंत्र और दीर्घकालिक सहमति के आधार पर मजबूत होनी चाहिए। अगर भारत सिर्फ आयोजनों और व्यक्तिगत संबंधों पर भरोसा करेगा, तो यह जोखिम भरा साबित हो सकता है।