द लोकतंत्र: दिल्ली और बॉम्बे हाई कोर्ट में शुक्रवार को सुरक्षा व्यवस्था उस समय कड़ी कर दी गई, जब दोनों अदालतों को एक साथ बम से उड़ाने की धमकी वाला ईमेल मिला। इस धमकी ने प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मचा दिया।
जानकारी के मुताबिक, दिल्ली हाई कोर्ट के महापंजीयक अरुण भारद्वाज को शुक्रवार सुबह 10:41 बजे एक संदिग्ध ईमेल प्राप्त हुआ। मेल में दोपहर 2 बजे तक कोर्ट परिसर खाली करने की चेतावनी दी गई थी। साथ ही “पवित्र शुक्रवार विस्फोट” और “पाकिस्तान-तमिलनाडु की मिलीभगत” का उल्लेख था। ईमेल मिलते ही अदालत परिसर को तुरंत खाली कराया गया और बम निरोधक दस्ता (Bomb Disposal Squad) मौके पर पहुंचा।
वकीलों और कर्मचारियों को सूचित किया गया कि आज जज कोर्ट में नहीं बैठेंगे। सभी मामलों को अगली तारीख के लिए स्थगित कर दिया गया। दिल्ली पुलिस और अन्य एजेंसियों ने कोर्ट परिसर को घेरकर सर्च ऑपरेशन चलाया।
सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों ने बताया कि ईमेल में एक मोबाइल नंबर, कुछ नाम और संदिग्ध दावे भी शामिल थे। इसमें राजनीतिक दलों, आरएसएस और अन्य संगठनों पर आपत्तिजनक टिप्पणियां की गईं। इसके अलावा, ईमेल में यह भी लिखा गया कि पटना में 1998 जैसे धमाकों को दोहराने की साजिश रची गई है।
जांच एजेंसियों के अनुसार, ईमेल में कुछ व्यक्तियों के नाम लेकर धमकी दी गई और कहा गया कि “पवित्र शुक्रवार” की नमाज के बाद दिल्ली हाई कोर्ट के जज चैंबर में विस्फोट होगा। हालांकि, शुरुआती जांच में यह मेल किसी बड़े साइबर नेटवर्क से भेजा गया प्रतीत हो रहा है। साइबर सेल ने ईमेल के स्रोत और उसमें दिए गए नंबर का ट्रेस शुरू कर दिया है।
दिल्ली पुलिस ने बताया कि किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए पूरे हाई कोर्ट परिसर को खंगाला गया। हालांकि अब तक किसी संदिग्ध वस्तु का पता नहीं चला है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियां बॉम्बे हाई कोर्ट परिसर में भी कड़ी चौकसी बरत रही हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के धमकी भरे मेल न केवल न्यायिक कार्यवाही को प्रभावित करते हैं, बल्कि सुरक्षा के लिहाज से भी खतरा पैदा करते हैं। फिलहाल, जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि मेल भेजने के पीछे किसका हाथ है और इसका उद्देश्य क्या था।