द लोकतंत्र: नेपाल (Nepal) की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया है। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शुक्रवार को 73 वर्षीय कार्की को देश का नया कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया। शपथ ग्रहण समारोह काठमांडू स्थित राष्ट्रपति भवन में हुआ, जिसमें नेपाल के प्रधान न्यायाधीश, शीर्ष सरकारी अधिकारी, सेना प्रमुख, सुरक्षा एजेंसियों के प्रतिनिधि और कई देशों के राजनयिक मौजूद थे।
राष्ट्रपति पौडेल ने स्पष्ट किया कि अंतरिम सरकार को छह महीने के भीतर नए संसदीय चुनाव आयोजित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा हालात में स्थिरता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बनाए रखना सरकार की पहली प्राथमिकता होगी।
जेन जेड आंदोलन के बीच राजनीतिक फेरबदल
कार्की का चयन ऐसे समय हुआ है जब नेपाल में ‘जेन जेड’ आंदोलन ने जोर पकड़ रखा है। वर्ष 1997 से 2012 के बीच जन्मी पीढ़ी, जिसे जेन जेड कहा जाता है, हाल के दिनों में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ बड़े पैमाने पर सड़कों पर उतरी। इन प्रदर्शनों के दबाव में पूर्व प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा।
आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में कम से कम 51 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें एक भारतीय नागरिक भी शामिल था। हालात बिगड़ने पर नेपाली सेना ने सुरक्षा व्यवस्था अपने हाथ में ले ली।
होटल उद्योग को भारी नुकसान
सरकार विरोधी प्रदर्शनों में पर्यटन उद्योग को गहरी चोट पहुंची है। होटल एसोसिएशन नेपाल (HAN) के अनुसार, देशभर में लगभग दो दर्जन होटलों में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी हुई। अकेले काठमांडू के हिल्टन होटल को आठ अरब रुपये से अधिक का नुकसान हुआ, जबकि पोखरा, विराटनगर, झापा, बुटवल और धनगढ़ी जैसे प्रमुख शहरों में भी बड़े पैमाने पर संपत्ति का नुकसान दर्ज किया गया। अनुमान है कि होटल उद्योग को कुल 25 अरब रुपये से अधिक का आर्थिक झटका लगा है।
राजनीतिक दलों से अपील
इससे पहले, प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष देवराज घिमिरे और राष्ट्रीय सभा के अध्यक्ष नारायण दाहाल ने सभी पक्षों से संविधान के दायरे में रहकर संकट का समाधान निकालने की अपील की। उन्होंने कहा कि युवाओं की मांगों पर गंभीरता से ध्यान देना और लोकतंत्र को सशक्त बनाना सभी का दायित्व है।
राष्ट्रपति पौडेल ने भी प्रधानमंत्री नियुक्त करने से पहले प्रमुख राजनीतिक दलों, कानूनी विशेषज्ञों और नागरिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों से विचार-विमर्श किया। अब कार्की की अंतरिम सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह अस्थिरता को दूर कर निष्पक्ष चुनाव की राह प्रशस्त करेगी।