द लोकतंत्र/ पटना : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने युवाओं के लिए एक और अहम घोषणा की है। उन्होंने राज्य के स्नातक बेरोजगार युवक-युवतियों को ₹1000 प्रतिमाह भत्ता देने का ऐलान किया है। यह कदम उनके महत्वाकांक्षी सात निश्चय कार्यक्रम के अंतर्गत लिया गया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह निर्णय न केवल युवाओं को आर्थिक संबल देगा, बल्कि चुनावी समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है।
सात निश्चय योजना से युवाओं को नई उम्मीद
नीतीश कुमार की सात निश्चय योजना लंबे समय से बिहार के युवाओं के लिए जीवन बदलने वाली योजनाओं का पर्याय रही है। इसके तहत छात्रों को क्रेडिट कार्ड से लेकर कौशल विकास तक की सुविधाएं दी गईं। हाल ही में 15 अगस्त को मुख्यमंत्री ने एक और बड़ा कदम उठाया था राज्य के सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की मुख्य परीक्षाओं में लगने वाली मोटी फीस को माफ कर दिया, जबकि प्रारंभिक परीक्षा (PT) की फीस सिर्फ ₹100 निर्धारित की गई। इस फैसले ने खासकर गरीब और ग्रामीण पृष्ठभूमि के युवाओं को नई ऊर्जा दी।
स्नातक बेरोजगारों को मिलेगा भत्ता
अब मुख्यमंत्री ने युवाओं के लिए नया तोहफा दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना का विस्तार किया जा रहा है। इस योजना का लाभ अब कला, विज्ञान और वाणिज्य में स्नातक उत्तीर्ण 20-25 आयु वर्ग के बेरोजगार युवक-युवतियों को मिलेगा।
शर्त यह है कि लाभार्थी वर्तमान में कहीं अध्ययनरत न हों, न ही उनके पास कोई स्वरोजगार या सरकारी/निजी नौकरी हो। ऐसे युवाओं को ₹1000 प्रतिमाह अधिकतम दो वर्षों तक दिया जाएगा, ताकि वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकें या आवश्यक कौशल प्रशिक्षण ले सकें।
रोजगार सृजन का वादा
नीतीश कुमार ने पोस्ट में यह भी लिखा कि नवंबर 2005 में नई सरकार बनने के बाद से ही युवाओं को सरकारी नौकरी और रोजगार देना उनकी प्राथमिकता रही है। उन्होंने यह भी दोहराया कि अगले पांच साल में एक करोड़ युवाओं को सरकारी नौकरी और रोजगार देने का लक्ष्य तय किया गया है। मुख्यमंत्री का कहना है कि सरकारी और निजी क्षेत्रों में नए अवसर सृजित करने के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं, और युवाओं को कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
चुनावी रणनीति का हिस्सा?
राजनीतिक हलकों में इस घोषणा को स्पष्ट रूप से चुनावी रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और बेरोजगारी हमेशा से राज्य की सबसे बड़ी चुनौती रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के कल्याणकारी कदम सीधे तौर पर युवा मतदाताओं को आकर्षित कर सकते हैं।
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू-एनडीए सरकार के लिए यह कदम उन इलाकों में समर्थन बढ़ा सकता है, जहां बड़ी संख्या में स्नातक बेरोजगार युवा रहते हैं। यह योजना न केवल आर्थिक राहत का साधन है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि सरकार युवाओं के भविष्य को लेकर गंभीर है।
हालांकि विपक्ष इसे चुनावी “लॉलीपॉप” बता रहा है। आरजेडी और कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि अगर सरकार वास्तव में रोजगार सृजन को लेकर ईमानदार होती, तो इतने सालों में बेरोजगारी का ग्राफ कम होता। उनका आरोप है कि चुनाव नजदीक आते ही भत्ते और योजनाओं की बौछार कर मतदाताओं को रिझाने की कोशिश की जा रही है।
युवाओं में उत्साह
विपक्ष के आरोपों के बावजूद, बड़ी संख्या में युवा इस घोषणा का स्वागत कर रहे हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों का कहना है कि यह भत्ता उनके लिए सहारा बनेगा। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आने वाले छात्रों को अब तैयारी के लिए किताबें खरीदने, कोचिंग फीस भरने या अन्य आवश्यक खर्चों के लिए मदद मिल सकेगी।