द लोकतंत्र : जिद और जूनून लोगों से क्या नहीं कराती। हमारे आस पास ढेरों ऐसे लोग मौजूद हैं जिनके अंदर एक ऐसा ‘सुपर हीरो’ मौजूद है जो मानवता के लिए फिक्रमंद है। जो अपनी दैनिक दिनचर्या के बीच समाज के लिए भी भरपूर वक़्त देते हैं, काम करते हैं। जनपद देवरिया ( Deoria ) के सॉफ्टवेयर इंजिनियर विजय मणि त्रिपाठी ऐसी ही एक शख्सियत हैं जिन्होंने प्रकृति संरक्षण की एक अनोखी मुहीम शुरू की है। अपने पैतृक ग्राम बढ़या बुजुर्ग में लगभग एक बीघे जमीन का इस्तेमाल उन्होंने नर्सरी तैयार करने में की है और गिफ्ट टू नेचर नाम से मुहीम चला रहे हैं।
द लोकतंत्र से बातचीत करते हुए विजय बताते हैं कि वैश्विक रूप से पर्यावरणीय मुद्दों को लेकर व्यापक चर्चाएं हो रही हैं। हालाँकि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में चर्चाओं से आगे बढ़कर काम करने की जरूरत है। जिस तेजी से क्लाइमेट बदल रहा है और पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित हो रहा है वह दिन दूर नहीं जब ज़िंदा रहने के लिए हमें सांसो को खरीदना पड़ेगा। अपनी मुहीम के विषय में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि विकास की अंधी दौड़ में गाँव ख़त्म हो रहे हैं। शहरों का विस्तार हो रहा है ऐसे में पेड़ लगाने के लिए लोगों के पास जगह नहीं है। हालाँकि शहरों में बहुत से लोग पर्यावरण को लेकर जागरूक हैं और अपनी जिम्मेदारियों को समझते हैं। ऐसे सभी लोग जो पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारियों को समझते हैं और पौधे लगाना चाहते हैं उनके लिए यह मुहीम काफी उपयोगी है। गिफ्ट टू नेचर के माध्यम से वह अपने परिजनों के नाम से प्रकृति को उपहार दे सकते हैं।
विजय बताते है, ऐसे सभी लोग जो पेड़ लगाकर पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाना चाहते हैं और प्रकृति को आभार व्यक्त करना चाहते हैं उनके नाम से जिओ टैगिंग के साथ हमारी जमीन पर वृक्षारोपण किया जा सकता है। इसके लिए हम एक वेबसाइट लांच कर रहे हैं जिसके माध्यम से लोग अपनी पसंद का पौधा लगा सकते हैं और उसे धीरे धीरे बड़ा होता हुआ देख सकते हैं। बेहद सामान्य से शुल्क में लोग ऐसा कर पाएंगे। पौधे लगाने से लेकर उसके बड़े होने तक देखभाल की जिम्मेदारी हमारी होगी। इस मुहीम को व्यापक रूप देने के लिए हम किसानों से अनुबंध भी करेंगे जिससे उन्हें नुकसान हुए बिना उनकी जमीनों का उपयोग किया जा सकेगा और उन्हें इससे आमदनी भी होगी।
वे बताते हैं कि भले ही यह एक छोटी पहल है और बेहद कम संसाधनों के साथ शुरू की गयी है लेकिन इसके प्रभाव व्यापक हैं और भविष्य के लिए यही एकमात्र विकल्प है। विजय बताते हैं कि वैश्विक बाजार में इस अवधारणा के साथ ‘कार्बन क्रेडिट’ का बाजार खड़ा हो रहा है। भारत में भी इसको लेकर चर्चा हो रही है और कुछ कुछ काम भी हो रहा है। सीधे शब्दों में यह एक एक्सचेंज प्रक्रिया है। जितना हम प्रकृति से लेते हैं उतना या उससे ज्यादा हम उसे देने की कोशिश करें। अगर हमारे पास जगह नहीं है तो हम वहां पौधे लगाएं जहाँ जगह मौजूद है। गिफ्ट टू नेचर एक सोच है और उसकी परिणीति हमारे प्रयास पर निर्भर है।
बकौल विजय यह प्रोजेक्ट एक दूरदर्शी सोच का नतीजा है। इसके पीछे प्रकृति के प्रति मानव का अपराधबोध है, प्रायश्चित है। मानवता के लिए जरूरी है कि हम अपने जीवन कि कीमत को समझें। बिना ऑक्सीजन के हम क्या जी पाएंगे? ऑक्सीजन का सोर्स क्या है ? यह सवाल हम सभी को खुद से पूछना चाहिए तो यकीनन हम समझ पाएंगे कि पेड़ लगाना हमारी जरूरत क्यों है?
द लोकतंत्र से बातचीत के दौरान उन्होंने आगे बताया कि हर एक नागरिक को संकल्प लेना होगा कि वे अपने जीवन काल में कम से कम 10 पेड़ जरूर लगाएं। आपके पास जमीन नहीं है तो जिसके पास है उसके पास जाएँ और उनसे अनुरोध करके पेड़ लगाएं बदले में उन्हें कुछ राशि दे दें जिससे वो पौधे का संरक्षण कर उसे जीवित रखें। उनसे अनुबंध करें कि वो उस पेड़ की रक्षा करेंगे उसे बड़ा करेंगे। हमारा प्रोजेक्ट अवेयरनेस प्रोजेक्ट भी है। हम अपनी जमीन का उपयोग कर रहे हैं, भविष्य में हम और भी किसानों को इससे जोड़ेंगे। इसके अलावा ग्राम सभा की जमीनों का उपयोग भी लघु वनक्षेत्र विकसित करने के लिए करेंगे।
पर्यावरण संरक्षण की इस मुहीम की व्यापकता को बताते हुए उन्होंने कहा कि हमने पूरा प्लान बनाया है। चार्टिंग की है। किस तरह किस स्टेप पर आगे बढ़ना है, मुहीम को लोगों के बीच कैसे ले जाना है, रूफ टॉप गार्डनिंग के साथ साथ और कैसे प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाए इसको लेकर युद्धस्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जायेगा।
यह भी पढ़ें : भूमाफियाओं का गढ़ है देवरिया, जमीन को लेकर पहले भी हो चुके हैं बड़े कांड, भविष्य में भी…
फ्री पौधे वितरित करना, ग्राम प्रधानों से मुलाकात कर उन्हें लघु वन क्षेत्र विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करने जैसे कवायद हम करेंगे। वेबसाइट निर्माण अपने अंतिम चरण में है और जल्द ही इसके माध्यम से लोग अपने नाम से या अपने प्रियजनों के नाम से न सिर्फ पेड़ लगा पाएंगे बल्कि उसे बड़ा होता हुआ भी देखेंगे। जियो टैगिंग, वीडियोज के माध्यम से उन्हें उनके पेड़ की प्रोग्रेस दिखाई जाएगी। हर पौधे का बार कोड और नाम भी होगा।