द लोकतंत्र/ पटना : बिहार की राजनीति में इस समय बड़ा तूफ़ान खड़ा हो गया है। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद जेडीयू के वरिष्ठ मंत्री अशोक चौधरी पर दबाव लगातार बढ़ रहा है। अशोक चौधरी ने प्रशांत किशोर पर मानहानि का मुकदमा दर्ज कराते हुए 100 करोड़ रुपये का नोटिस भेजा था, लेकिन गुरुवार (25 सितम्बर 2025) को जन सुराज पार्टी ने पटना में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई अहम दस्तावेज पेश कर पूरे विवाद को और गहरा कर दिया।
जन सुराज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती ने कहा कि सत्ता पक्ष ने सबूत मांगते हुए प्रशांत किशोर को चुनौती दी थी, और अब पार्टी ने जमीन और प्रॉपर्टी से जुड़े कागजात सार्वजनिक कर यह साबित कर दिया है कि आरोप केवल राजनीतिक बयानबाज़ी नहीं थे। उन्होंने दावा किया कि उनके पास इतने प्रमाण हैं कि सभी को एक साथ पेश करना संभव ही नहीं है। पार्टी ने चुनिंदा दस्तावेज मीडिया और जनता के सामने रखे, जिनसे मंत्री अशोक चौधरी और उनके परिवार पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
जन सुराज का दावा, इतने सबूत हैं कि सभी पेश नहीं कर सकते
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी के प्रदेश महासचिव किशोर कुमार ने विस्तार से आरोपों को रखा। उन्होंने बताया कि अशोक चौधरी की पत्नी नीता केसकर चौधरी ने 2021 और 2022 में करोड़ों की दो प्रॉपर्टी खरीदीं। इनमें से एक की रजिस्ट्री उनके पति के नाम दर्ज है, जबकि दूसरी में उनके पिता का नाम है। कुल मिलाकर इन सौदों की कीमत लगभग 7 करोड़ रुपये बताई गई। सवाल यह है कि नीता केसकर चौधरी के पास इतनी बड़ी रकम आई कहां से।
जन सुराज ने यह भी याद दिलाया कि नीता केसकर चौधरी पहले से ही पंजाब नेशनल बैंक से 3 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में आरोपित हैं और यह केस फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस पृष्ठभूमि ने मौजूदा आरोपों को और संवेदनशील बना दिया है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में सबसे बड़ा खुलासा मानव वैभव विकास ट्रस्ट के जरिए की गई प्रॉपर्टी खरीद का था। आरोप है कि अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी और किशोर कुणाल के बेटे सायन कुणाल के बीच विवाह तय होने के बाद ट्रस्ट ने पटना के पॉश इलाकों में एक के बाद एक प्रॉपर्टी खरीदी। इन सौदों की कुल कीमत करीब 47 करोड़ रुपये बताई गई है, जबकि बाजार मूल्य 100 करोड़ रुपये से अधिक आंका जा रहा है।
पीए योगेंद्र दत्त के जरिए भी जमीन खरीदी
दस्तावेजों में तारीख़ों और रकम का भी खुलासा किया गया। 28 मार्च 2021 को श्रीकृष्णापुरी में 5.5 करोड़ रुपये की खरीद, 12 मई 2022 को रूपसपुर में 3.4 और 8.9 करोड़ की दो संपत्तियां, 14 जुलाई 2022 को मैनपुरा में 7.2 करोड़ की खरीद और 15 जुलाई 2022 को पाटलिपुत्र में 2.05 और 15.50 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी का सौदा शामिल है।
इसके अलावा आरोप है कि 2019 में अशोक चौधरी ने अपने पीए योगेंद्र दत्त के जरिए भी जमीन खरीदी और 2021 में वही प्रॉपर्टी अपनी बेटी शांभवी चौधरी के नाम कर दी। आरोपों के अनुसार उस समय शांभवी पढ़ाई कर रही थीं, लेकिन उनके खाते से योगेंद्र दत्त को 10 लाख रुपये का भुगतान किया गया। यही नहीं, आयकर विभाग की नोटिस के बाद 27 अप्रैल 2025 को योगेंद्र दत्त के खाते में 25 लाख रुपये जबरन जमा कराए गए।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्रशांत किशोर के आरोपों को अब दस्तावेज़ी आधार मिलने से मामला केवल बयानबाज़ी तक सीमित नहीं रहेगा। विपक्ष इस मुद्दे को चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल करेगा, जिससे जेडीयू और एनडीए गठबंधन के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है। अशोक चौधरी ने भले ही प्रशांत किशोर पर 100 करोड़ रुपये की मानहानि का नोटिस भेजा हो, लेकिन जन सुराज द्वारा पेश किए गए सबूतों ने उनकी परेशानी और बढ़ा दी है। अब सवाल यह है कि इन आरोपों पर जेडीयू और सरकार की अगली प्रतिक्रिया क्या होगी।