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अखिलेश यादव ने जीएसटी सुधारों पर बीजेपी को घेरा, कहा- जीएसटी गोलमाल से जनता परेशान

Akhilesh Yadav attacks BJP on GST reforms, says people are troubled by GST mess

द लोकतंत्र/ लखनऊ : समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर नेक्स्ट जेन जीएसटी रिफॉर्म (Next Gen GST Reform) को लेकर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने जनता को दिखाने के लिए कुछ तैयार सामान पर जीएसटी कम कर दी, लेकिन उन्हीं वस्तुओं को बनाने वाले कच्चे माल पर टैक्स बढ़ा दिया। इससे जनता को कोई राहत नहीं मिली बल्कि जीएसटी गोलमाल (GST Golmaal) का असली चेहरा सामने आ गया।

भाजपा जनता को कर रही गुमराह

अखिलेश यादव ने शुक्रवार को पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी के गुलिस्तां कॉलोनी स्थित आवास पर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भाजपा जनता को गुमराह कर रही है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि भाजपाई सड़क पर नारे लगाकर और 50 प्रतिशत का भाषण देकर निकल गए, लेकिन जब जनता बाजार में जाती है तो उसे सस्ता सामान नहीं मिल रहा। नतीजतन, लोग दुकानदारों से उलझ रहे हैं।

सपा प्रमुख ने याद दिलाया कि आठ साल पहले भाजपा सरकार ने आधी रात को जीएसटी लागू कर जश्न मनाया था, लेकिन तब से लेकर अब तक हर चीज को महंगा कर जनता की जेब काटी जा रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब वस्तुएं आज भी कम कीमत में उपलब्ध हो सकती हैं तो आठ साल तक भाजपा ने उन्हें महंगा क्यों बनाए रखा।

भाजपा पर जमकर बरसे अखिलेश

अखिलेश यादव ने कहा कि जब तक मुनाफाखोरी पर रोक नहीं लगेगी, तब तक महंगाई कम नहीं होगी। इसके समाधान के लिए उन्होंने डॉ. राम मनोहर लोहिया की ‘दाम बांधो’ नीति पर लौटने की वकालत की।

लोकसभा चुनाव में प्रदेश में भाजपा की हार और बढ़ती महंगाई के चलते जनता में आक्रोश साफ झलक रहा है। अखिलेश यादव ने कहा कि यही कारण है कि भाजपा बैकफुट पर दिखाई दे रही है, लेकिन फिर भी जनता को धोखा दे रही है। उन्होंने आगे कहा कि विदेश नीति की असफलता से देश के उद्योग-कारोबार को भारी नुकसान हो रहा है। अगर आयात-निर्यात पर टैरिफ और ज्यादा बढ़ा तो कारोबार पूरी तरह चौपट हो जाएगा।

Team The Loktantra

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लोकतंत्र की मूल भावना के अनुरूप यह ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां स्वतंत्र विचारों की प्रधानता होगी। द लोकतंत्र के लिए 'पत्रकारिता' शब्द का मतलब बिलकुल अलग है। हम इसे 'प्रोफेशन' के तौर पर नहीं देखते बल्कि हमारे लिए यह समाज के प्रति जिम्मेदारी और जवाबदेही से पूर्ण एक 'आंदोलन' है।

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