द लोकतंत्र: क्या आपने कभी लंच करने के बाद अचानक से सुस्ती, भारीपन या ध्यान केंद्रित न कर पाने की समस्या महसूस की है? इसे ही अक्सर ब्रेन फॉग (Brain Fog) कहा जाता है। यह कोई बीमारी नहीं बल्कि जीवनशैली और खानपान से जुड़ी समस्या है। ब्रेन फॉग की स्थिति में व्यक्ति थकान, चिड़चिड़ापन और काम में रुकावट महसूस करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आहार संतुलित हो, पर्याप्त पानी पिया जाए और नींद पूरी ली जाए तो दिमाग दिनभर एक्टिव रह सकता है।
लंच के बाद ब्रेन फॉग क्यों होता है?
भारी भोजन – दोपहर में तैलीय, मसालेदार या ज्यादा मात्रा में खाना खाने से शरीर को पचाने में अधिक ऊर्जा लगती है। इससे दिमाग तक रक्त प्रवाह कम हो जाता है और थकान महसूस होती है।
मीठा और कार्बोहाइड्रेट – लंच में मिठाई, मीठे पेय या ज्यादा कार्ब्स लेने से ब्लड शुगर अचानक बढ़ता है और फिर तेजी से गिर जाता है। यह उतार-चढ़ाव दिमाग को थका देता है।
डिहाइड्रेशन – पानी की कमी से ध्यान केंद्रित करने की क्षमता घट जाती है, जिससे ब्रेन फॉग होता है।
नींद की कमी – अगर रात को नींद पूरी न हुई हो तो लंच के बाद दिमाग और शरीर दोनों सुस्ती महसूस करते हैं।
ब्रेन फॉग के लक्षण
अचानक थकान और आलस्य
ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
काम में बार-बार रुकावट
सिर भारी लगना
चिड़चिड़ापन और सुस्ती
ब्रेन फॉग से बचने के उपाय
दोपहर के भोजन में सब्ज़ियां, दाल, साबुत अनाज और सलाद को शामिल करें।
तैलीय और तला-भुना खाना कम खाएं।
मिठाई, कोल्ड ड्रिंक और ज्यादा सफेद चावल से परहेज़ करें।
भोजन से पहले और बाद में पर्याप्त पानी पिएं।
खाने के बाद तुरंत लेटने के बजाय 5-10 मिनट की हल्की वॉक करें।
रात को कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें।
काम के दौरान छोटे-छोटे ब्रेक लें और गहरी सांस लें।
लंच के बाद ब्रेन फॉग होना केवल थकान की निशानी नहीं बल्कि गलत खानपान और जीवनशैली का परिणाम है। अगर आप अपने भोजन और रूटीन में थोड़े बदलाव करें तो दिमाग दिनभर एक्टिव, फ्रेश और फोकस्ड रह सकता है।