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Navratri Jau Rituals 2025: नवरात्रि में उगे जवारों का क्या करें, जानें सही परंपरा और महत्व

the loktantra

द लोकतंत्र : नवरात्रि का पर्व शक्ति की उपासना और आध्यात्मिक साधना का विशेष समय माना जाता है। इस दौरान भक्तजन मां दुर्गा की आराधना करते हैं और कलश स्थापना के साथ ही जौ (जवारे) बोने की परंपरा निभाते हैं। नौ दिनों तक जवारों की देखभाल करना घर की समृद्धि, खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। लेकिन नवरात्रि समाप्त होने के बाद अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि इन जवारों का क्या करना चाहिए।

नवरात्रि में उगे जवारों का महत्व

नवरात्रि में बोए गए जौ को समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना गया है। मान्यता है कि जौ जितने अच्छे और हरे-भरे उगते हैं, घर में उतनी ही तरक्की और खुशहाली आती है। यही कारण है कि नवरात्रि के दौरान इनकी विधिवत देखभाल की जाती है।

नवरात्रि के बाद जौ का क्या करें?

नवमी या दशमी के दिन जवारों को विधिवत निकालकर सबसे पहले मां दुर्गा का पूजन किया जाता है। इसके बाद कुछ जवारों के दाने लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी, अलमारी या पर्स में रखने चाहिए। माना जाता है कि इससे धन की प्राप्ति होती है। शेष जवारों को नदी, तालाब में प्रवाहित कर देना चाहिए या पीपल और बरगद के पेड़ के नीचे रख देना चाहिए। इन्हें घर में सूखने नहीं देना चाहिए क्योंकि इसे अशुभ माना गया है।

जवारों के विशेष उपाय

धन लाभ के लिए – कुछ दाने लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी या पर्स में रखें।

ज्ञान प्राप्ति के लिए – बच्चों की पढ़ाई की किताबों में जौ के दाने रखने से बुद्धि और स्मरणशक्ति में वृद्धि होती है।

स्वास्थ्य लाभ के लिए – बीमार व्यक्ति को जौ का जूस पिलाने से स्वास्थ्य में सुधार होता है।

नकारात्मकता से मुक्ति – अष्टमी या नवमी के हवन में जवारे डालने से घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।

जवारों का विसर्जन

विसर्जन करते समय भक्तजन सबसे पहले माता दुर्गा का आह्वान कर आभार व्यक्त करते हैं। परंपरा के अनुसार जवारों को सिर पर रखकर शोभायात्रा निकाली जाती है और फिर नदी या तालाब में प्रवाहित किया जाता है। यदि जल स्रोत उपलब्ध न हो, तो इन्हें पीपल या बरगद के पेड़ के नीचे रखा जा सकता है। विसर्जन के बाद कुछ दाने घर में धन स्थान पर रखे जाते हैं या परिवारजनों में बांटे जाते हैं।

नवरात्रि में जौ बोना केवल परंपरा नहीं, बल्कि श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। नवरात्रि के बाद जवारों का सही विसर्जन और उपयोग न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार करता है।

Uma Pathak

Uma Pathak

About Author

उमा पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में स्नातक और बीएचयू से हिन्दी पत्रकारिता में परास्नातक किया है। पाँच वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली उमा ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उमा पत्रकारिता में गहराई और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं।

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