द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सियासी हलचल तेज हो गई है। सभी दल अपनी-अपनी रणनीतियों पर काम कर रहे हैं और नेताओं की लोकप्रियता पर लगातार निगाह रखी जा रही है। इस बीच सी-वोटर (C-Voter) रिसर्च एजेंसी द्वारा सितंबर में किए गए सर्वे के नतीजे सामने आए हैं, जिसमें मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों की रेटिंग ने राजनीतिक समीकरणों को और दिलचस्प बना दिया है।
तेजस्वी यादव बने जनता की पहली पसंद
सर्वे में राजद नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को सबसे ज्यादा समर्थन मिला है। फरवरी से अब तक वे लगातार पसंदीदा मुख्यमंत्री उम्मीदवार बने हुए हैं। हालांकि, उनकी लोकप्रियता में उतार-चढ़ाव देखा गया है। फरवरी में जहां उन्हें 40 प्रतिशत से ज्यादा समर्थन था, वहीं अगस्त तक यह घटकर 31.3 प्रतिशत पर पहुंच गया। लेकिन सितंबर में उनकी रेटिंग फिर से सुधरी और वे 35.5 प्रतिशत वोटरों की पहली पसंद बन गए।
नीतीश कुमार की रेटिंग में हल्की बढ़त
वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता में भी पिछले महीनों में गिरावट देखी गई थी। अगस्त तक उनका ग्राफ 18 से घटकर 14 प्रतिशत पर आ गया था। हालांकि, सितंबर में उनकी रेटिंग में थोड़ा सुधार हुआ और वे 16 प्रतिशत तक पहुंच गए। लंबे समय से मुख्यमंत्री रहे नीतीश का जनाधार अभी भी स्थिर माना जा रहा है, लेकिन नए चेहरों के उभार से उनकी चुनौती बढ़ती दिख रही है।
प्रशांत किशोर की लोकप्रियता में लगातार इज़ाफा
इस सर्वे में सबसे चौंकाने वाला नाम जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर का रहा। फरवरी में उन्हें 14.9 प्रतिशत समर्थन मिला था, लेकिन लगातार मेहनत और जनता के बीच सक्रियता के चलते उनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी। जून में उनकी रेटिंग 18.2 प्रतिशत हो गई और सितंबर में यह बढ़कर 23.1 प्रतिशत तक पहुंच गई। इस तरह प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार को पछाड़ते हुए दूसरे नंबर की जगह बना ली है।
एक नए चेहरे पर बढ़ा भरोसा
दिलचस्प बात यह है कि इस सर्वे में बिहार की जनता ने एक नए चेहरे चिराग़ पासवान पर भी भरोसा जताया है। सितंबर के आंकड़ों के अनुसार, चिराग़ चौथे स्थान पर रहे और उन्हें करीब 9.5 प्रतिशत समर्थन मिला। फरवरी में उनकी लोकप्रियता केवल 3.7 प्रतिशत थी, लेकिन अब यह दहाई के करीब पहुंच गई है। यह बदलाव बिहार की राजनीति में नए समीकरणों का संकेत देता है। सर्वे में उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सम्राट चौधरी की लोकप्रियता अपेक्षाकृत कम रही। सितंबर में उन्हें केवल 6.8 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिला।