द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। चुनाव आयोग आज (6 अक्टूबर) शाम 4 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए चुनाव की तारीखों का ऐलान करेगा। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का बिहार की राजनीति पर सीधा असर पड़ेगा क्योंकि इसके बाद राज्य में आचार संहिता लागू होने की पूरी संभावना है।
बता दें कि बिहार में 243 सदस्यीय विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है। ऐसे में अब राज्य में चुनावी बिगुल बजना तय है। राजनीतिक दलों ने पहले ही निर्वाचन आयोग से आग्रह किया था कि चुनाव छठ पर्व के तुरंत बाद अक्टूबर के अंत में कराए जाएं, ताकि बाहर काम करने वाले लोग त्योहारों के दौरान घर लौटकर मतदान में भाग ले सकें।
2020 में बिहार विधानसभा चुनाव कोविड-19 महामारी के बीच तीन चरणों में कराए गए थे। उस समय मतदान और प्रचार दोनों ही सख्त प्रोटोकॉल के तहत हुए थे। अब पांच साल बाद, एक बार फिर बिहार में सियासी समर अपने चरम पर पहुंच चुका है। सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी महागठबंधन दोनों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं।
आधार कार्ड विवाद पर EC ने दिया बड़ा बयान
चुनाव घोषणा से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में उपयोग करने को लेकर भी सवाल उठे। इस पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया कि आधार कार्ड को केवल पहचान के लिए स्वीकार किया जा सकता है, लेकिन यह जन्म तिथि, निवास या नागरिकता का प्रमाण नहीं है।
ज्ञानेश कुमार ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश और आधार अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, आधार कार्ड को नागरिकता या जन्म तिथि का प्रमाण नहीं माना जा सकता। अगर किसी ने 2023 के बाद आधार कार्ड प्राप्त किया या डाउनलोड किया है, तो उस पर साफ तौर पर लिखा होता है कि यह जन्म तिथि का प्रमाण नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि गणना फॉर्म में आधार कार्ड देना पूरी तरह वैकल्पिक है, यह अनिवार्य नहीं है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 26 के तहत भी आधार नंबर प्रदान करना वैकल्पिक है। यह पूरी तरह आधार धारक की इच्छा पर निर्भर करता है, उन्होंने जोड़ा।
बिहार में सियासी तापमान चढ़ा
चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले बिहार की राजनीति अपने चरम पर है। महागठबंधन (INDIA Bloc) और एनडीए (NDA) दोनों ने प्रचार अभियान तेज कर दिया है। एक ओर जहां तेजस्वी यादव खुद को परिवर्तन का चेहरा बताकर जनता से सीधा संवाद कर रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार के कामकाज और विकास मॉडल को जनता के सामने रख रहे हैं। अब सबकी निगाहें शाम 4 बजे होने वाली चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर टिकी हैं, जहां से बिहार के राजनीतिक भविष्य की दिशा तय होगी।