द लोकतंत्र/ पटना : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Election 2025) का माहौल गरमाता जा रहा है। सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां तेज़ कर दी हैं और अब सबसे बड़ी घोषणा आज होने जा रही है। चुनाव आयोग आज बिहार चुनाव की तारीख़ों का ऐलान करेगा। यानी अब राजनीतिक संग्राम का औपचारिक आगाज़ होने वाला है।
एक ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ भारतीय जनता पार्टी सत्ता बरकरार रखने की रणनीति में जुटी है, तो दूसरी ओर तेजस्वी यादव अपनी पार्टी आरजेडी और विपक्षी गठबंधन के साथ आक्रामक प्रचार मोड में उतर चुके हैं। इस बीच जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (PK) की बढ़ती लोकप्रियता ने मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है।
सी-वोटर सर्वे ने बढ़ाई सियासी गर्मी
सी-वोटर के ताज़ा सर्वे के मुताबिक तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री पद के लिए जनता की पहली पसंद बने हुए हैं। फरवरी 2025 से सितंबर 2025 तक के आंकड़ों में उतार-चढ़ाव के बावजूद वे टॉप पर बने हुए हैं। फरवरी में 41%, जून में 35%, अगस्त में 31% और सितंबर में फिर बढ़कर 36% लोगों ने तेजस्वी को अपनी पहली पसंद बताया। यानी विरोधी हमलों और सत्तारूढ़ गठबंधन की रणनीति के बावजूद उनकी लोकप्रियता स्थिर है।
दूसरी ओर प्रशांत किशोर का ग्राफ लगातार ऊपर जा रहा है। फरवरी में सिर्फ 15% लोग उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए पसंद करते थे, जो सितंबर में बढ़कर 23% तक पहुंच गया। यह 8 प्रतिशत की छलांग संकेत देती है कि PK का ‘बदलाव’ वाला संदेश खासकर युवाओं और नए मतदाताओं के बीच गूंज रहा है। उनका जन सुराज अभियान अब राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करने की स्थिति में दिखाई दे रहा है।
नीतीश कुमार, जो एनडीए के चेहरे हैं, उन्हें सितंबर में केवल 16% लोगों ने पसंद किया। इसका अर्थ है कि जनता अब तीन प्रमुख चेहरों तेजस्वी यादव, प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार के बीच बंटी हुई है। यानी इस बार मुकाबला पारंपरिक द्विपक्षीय नहीं, बल्कि त्रिकोणीय (Triangular Contest) होता दिख रहा है।
क्या बोले सी-वोटर के फाउंडर यशवंत देशमुख?
सी-वोटर के फाउंडर यशवंत देशमुख ने कहा, तेजस्वी यादव का प्रचार अब तक काफी आक्रामक रहा है, इसका फायदा उन्हें मिल सकता है। लेकिन प्रशांत किशोर अब ऐसी स्थिति में हैं कि या तो अर्श पर होंगे या फर्श पर। अगर चुनाव का रुझान दो पार्टियों के बीच रहा तो PK को नुकसान हो सकता है, लेकिन अगर तीसरा विकल्प मजबूत हुआ, तो वे निर्णायक खिलाड़ी बन सकते हैं।
दरअसल, RJD इस बार भी अपने पारंपरिक मुस्लिम-यादव वोट बैंक पर भरोसा कर रही है, वहीं जन सुराज पार्टी युवा मतदाताओं में ‘नई राजनीति’ का संदेश फैला रही है। बीजेपी-जेडीयू गठबंधन का पूरा जोर अपने कोर वोट बैंक को बचाने पर है। यानी इस बार का चुनाव ‘बदलाव बनाम अनुभव’ की जंग बनता जा रहा है। और, बहुत हद तक संभव है कि इस बार बिहार चुनाव का मुक़ाबला त्रिकोणीय हो।