द लोकतंत्र : बिहार विधानसभा के 18वें सत्र का शपथ ग्रहण समारोह न केवल संवैधानिक प्रक्रिया का निर्वाह था, बल्कि राज्य की समृद्ध भाषाई और सांस्कृतिक विविधता का अदभुत प्रदर्शन भी था। शनिवार को सदन में कुल 235 नवनिर्वाचित विधायकों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। इस समारोह में अधिकांश (209) विधायकों ने हिंदी में शपथ ली, जबकि 26 विधायकों ने संस्कृत, मैथिली, उर्दू और अंग्रेजी जैसी अन्य भाषाओं का उपयोग करके अपनी मातृभाषाओं के प्रति सम्मान व्यक्त किया।
मैथिली: मिथिलांचल के गौरव की प्रतिध्वनि
शपथ ग्रहण समारोह का एक प्रमुख आकर्षण मैथिली भाषा का उपयोग रहा। मिथिलांचल क्षेत्र के कुल 14 विधायकों ने मैथिली में शपथ ली, जिससे सदन में इस भाषा का सांस्कृतिक गौरव पुनः स्थापित हुआ।
- प्रमुख चेहरे: अरुण शंकर प्रसाद (खजौली), नीतीश मिश्रा (झंझारपुर), थिली ठाकुर (अलीनगर), विनोद नारायण झा (बेनीपट्टी) और सुधांशु शेखर (हरलाखी) जैसे प्रमुख विधायकों ने अपनी मातृभाषा को सम्मान दिया।
- सांस्कृतिक जुड़ाव: मैथिली में शपथ लेना इन विधायकों के लिए न केवल क्षेत्रीय पहचान का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाता है कि राजनीतिक मंच पर भी स्थानीय भाषाओं के महत्व को स्वीकार किया जा रहा है।
संस्कृत और उर्दू का महत्व
हिंदी और मैथिली के अलावा, अन्य भाषाओं ने भी सदन की विविधता को बढ़ाया।
- संस्कृत का पुनर्जागरण: कटिहार से BJP विधायक तारकिशोर प्रसाद, सोनबरसा से JDU के रत्नेश सदा और मुकेश कुमार सहित अन्य कुछ विधायकों ने संस्कृत में शपथ ली। संस्कृत में शपथ लेना भारतीय संस्कृति और परंपरा के प्रति गहरा सम्मान प्रकट करता है।
- उर्दू की उपस्थिति: कांग्रेस के आबिदुर रहमान, मोहम्मद मुर्शिद आलम, कमरूल होदा और सरवर आलम, तथा एआईएमआईएम के अख्तरूल ईमान जैसे विधायकों ने उर्दू में शपथ ली, जो राज्य की धर्मनिरपेक्ष और बहुभाषी संरचना को पुष्ट करता है।
सदन का संचालन और शेष प्रक्रिया
शपथ ग्रहण समारोह का संचालन प्रोटेम स्पीकर नरेंद्र नारायण यादव ने किया, जिन्हें राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान पहले ही शपथ दिला चुके थे। शुरुआत में सात विधायक शपथ नहीं ले पाए, जिन्हें बाद में शपथ दिलाई जाएगी। अंग्रेजी में शपथ लेने वालों में LJP (रामविलास) के विष्णुदेव पासवान, BJP के सिद्धार्थ सौरभ और जेडीयू के चेतन आनंद और राहुल सिंह शामिल रहे।
बिहार विधानसभा का यह सत्र केवल सत्ता हस्तांतरण की एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि भारत के लोकतंत्र में भाषाई समावेशन और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का एक शानदार उदाहरण है।

